पटना (कार्यालय प्रतिनिधि)। बच्चों के मनोविज्ञान को केंद्र में रखकर लिखी गई कविता कहानी ही बाल साहित्य नहीं होता, और न सिर्फ बच्चों के द्वारा लिखी गई बाल रचनाएं बाल साहित्य के केंद्र में आता है। हमारे देश में ही नहीं पूरे विश्व भर में बाल साहित्य का सृजन सदियों से होता रहा है। बाल साहित्य बच्चों के लिए उपयोगी तो होता ही है, बहुत सारे बाल साहित्य का सृजन इस प्रकार होता रहा है, जिसे बड़े बूढ़े भी बड़े चाव से पढ़ते हैं। बच्चों के लिए लिखी गई बाल साहित्य में पशु,पक्षी,प्राकृतिक एवं अन्य मानवेतर रचनाओं के माध्यम से भी कुछ ऐसी बातें कही गई होती है, जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक होते हैं। बाल कविता, बाल कहानी या बाल उपन्यास संपूर्ण साहित्य जगत की अमूल्य निधि होती है। क्योंकि बाल साहित्य से कभी-कभी बड़े बूढ़ों के ऊपर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यानि बाल साहित्य से युवाओं तथा बुजुर्गों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बाल साहित्य का उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन करना, उन्हें शिक्षित करना, उन्हें दुनिया के बारे में सीखाना होता है। बच्चों के लिए उपलब्ध साहित्य न सिर्फ बच्चों की शब्दावली को समृद्ध करके उनके संचार कौशल को बढ़ाकर नया ज्ञान प्राप्त प्रदान करती है बल्कि जीवन की समस्या ग्रस्त परिस्थितियों के दौरान भावनात्मक समर्थन भी सुनिश्चित करती है। बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों को नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित कर सकते हैं। इस प्रकार बच्चों के चारित्रिक विकास का सशक्त माध्यम है बाल साहित्य।
उक्त बातें भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में आयोजित ऑनलाइन अवसर साहित्य यात्रा के संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं l
हमारे मंच से जुड़े ढेर सारे नए पुराने रचनाकार बाल साहित्य का सृजन करते रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया के इस जमाने में जहां पर कविता कहानी के लिए तो पर्याप्त जगह मिल जाता है और अधिकांश मंच भी मिल जाते हैं l लेकिन चित्रकला और बाल साहित्य के प्रति अधिकांश लोगों का ध्यान नहीं जाता l इसलिए हमरा इन दोनों उपेक्षित विधाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से सोशल मीडिया के मंच पर उतारने का सकारात्मक प्रयास है हेलो फेसबुक बाल साहित्य सम्मेलन के माध्यम से।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अनिता रश्मि ने कहा कि सूरज हमें देता है धूप। प्रकृति संरक्षण को प्रेरित करने वाली अच्छी बाल कविता को प्रस्तुत किया है सिद्धेश्वर ने। घनश्याम कलयुगी ने लिखा है भावपूर्ण खोती जा रही चिड़ियों पर सुविचारित रचना सृजित किया गया है, विज्ञान व्रत सिद्धेश्वर एवं निर्मल कर्ण के द्वारा।
अनिता रश्मि ने लिखा कि विज्ञान व्रत की रचनाएं बच्चों के मनोविज्ञान को रेखांकित करता है। विजय कुमारी मौर्य ने विज्ञान व्रत की रचना की सराहना करते हुए लिखा है बेहद उम्दा बाल रचना गजब का सृजन गांधी टोपी। अनीता रश्मि ने लिखा विजया आनंद के दोनों बाल कविताएं सहज सरल शब्दों में बच्चों को लुभाने की क्षमता रखती है l बुराड़ी मधुबन लिखा है कि इस पटल पर विज्ञान व्रत जैसे विद्वान की उपस्थिति अत्यंत ही सुखद है तथा इसके लिए सिद्धेश्वर की बधाई के पात्र हैँ l विज्ञान व्रत में लिखा कि घनश्याम जी की जी की बाल रचना अप्रतिम है l पूनम श्रेयसी ने लिखा है कि विज्ञान व्रत की बाल कविता अत्यंत सुंदर लोकगीत है तितली सामान l लखन सिंह आरोही ने लिखा है ” रेवाड़ी की तरह सम्मान पत्र बांटने वाला या भागलपुर हिंदी विद्यापीठ कहां है? ” फर्जी संस्थाओं और ऐसे सामान पत्रों से साहित्यकारों को बचाना चाहिए l
बाल साहित्य सप्ताह में पाठशाला एवं कार्यशाला में शामिल रचनाकारों में प्रमुख हैं विज्ञान व्रत,अनिता रश्मि, सिद्धेश्वर, निर्मल कर्ण, निशा भास्कर, पूनम श्रेयसी, विजयाकुमारी मौर्या, प्रभात धवन, डॉ. अनीता पंडा घनश्याम कलयुगी अरविंद कुमार मिश्रा डॉ.अनुज प्रभात डॉ. यशोधरा भटनागर, मुरारी मधुकर, सीमा रानी, मनीष राठौर, मीरा सिंह मीरा, पूनम कतरिया आदि। लोगों ने बाल साहित्य का पाठ किया।
प्रस्तुति : बीना गुप्ता जन संपर्क पदाधिकारी,भारतीय युवा साहित्यकार परिषद , पटना,बिहार,
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