दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार संकट में है। उस पर यौन-शोषण का साया मंडरा रहा है और 2018 का साहित्य नोबेल सम्मान दिया जाना इस बार रद्द कर दिया गया है। विश्वप्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार प्रदान करने वाली स्वीडिस अकादमी ने अपने एक सदस्य के पति पर यौन शोषण के आरोप के बाद यह फैसला लिया है। 70 सालों में यह पहला मौका है, जब साहित्य नोबेल पुरस्कार को रद्द किया गया है। स्वीडिश रेडियो के मुताबिक, स्वीडिस अकादमी के अंतरिम स्थायी सचिव ऐंडर्स ऑलसन ने कहा है कि मौजूदा हालात में इस साल के लिए पुरस्कार को स्थगित करना ही ठीक माना गया है।
दो खेमों में बंटी स्वीडिस अकादमी
स्वीडिस अकादमी फिलहाल दो खेमों में बंटी हुई है। हालांकि स्वीडिस अकादमी के 18 सदस्य तकनीकी रूप से आजीवन नियुक्त किए जाते हैं, जो इस्तीफा नहीं दे सकते, मगर वे स्वीडिश अकादमी की बैठक और निर्णय में शामिल हों या न हों, इसके लिए स्वतंत्र होते हैं। एक सदस्य 1989 से स्वीडिस अकादमी की गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले रहा है, जिसने सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी फतवा का स्वीडिस अकादमी द्वारा आलोचना करने से इनकार करने पर दूरी बना ली। सलमान रुश्दी के उपन्यास द सैटनिक वर्सेज के प्रकाशित होने के बाद सलमान रुश्दी के खिलाफ ईरान ने फतवा जारी किया था।
18 महिलाओं ने लगाया आरोप
नवंबर में 18 महिलाओं ने आरोप लगाया था कि स्वीडिस अकादमी की सदस्य कैटरीना फ्रासटेंशन के फ्रेंच पति क्लॉउड अर्नाल्ट ने उनका यौन शोषण किया था। अर्नाल्ट ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है। महिलाओं के मीडिया में सामने आने के बाद जब स्वीडिस अकादमी ने क्लॉउड अर्नाल्ट से सभी संबंध खत्म कर लिए तो स्वीडिस अकादमी दो खेमों में बंट गई और विवाद बढ़ता गया। विवाद बढऩे के बाद स्वीडिस अकादमी के कुल 18 सदस्यों में स्थायी सचिव सारा डैनियस सहित सात सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
क्लॉउड अर्नाल्ट स्कैंडल के सामने आने के बाद पिछले दो साल दिए गए नोबेल साहित्य पुरस्कार को लेकर अटकल लगाई जा रही थी। 2017 में ब्रिटिश लेखक काजुओ इशिगुरो और 2016 में अमेरिका के गायक गीतकार बॉब डिलन को यह पुरस्कार दिया गया था।
स्वीडन के राजा ने दी स्वीडिस अकादमी के संविधान में बदलाव की सहमति
स्वीडिस अकादमी के संविधान में यह प्रावधान है कि अकादमी के नए सदस्य की नियुक्ति 12 सदस्यों के मतदान से ही होगा। आठ सदस्यों द्वारा अपने को स्वीडिस अकादमी की गतिविधियों से अलग कर लेने के कारण इसके सक्रिय सदस्यों की संख्या 10 रह गई है। हालांकि स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ ने स्वीडिस अकादमी के संविधान में बदलाव की सहमति दे दी है, ताकि इस विश्व प्रसिद्ध संस्थान के अस्तित्व को बचाए रखा जा सके। संविधान में बदलाव के बाद स्वीडिस अकादमी के सदस्यों के इस्तीफा देने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है और नई नियुक्ति की जा सकती है। स्वीडिस अकादमी की स्थापना 232 साल पहले वर्ष 1786 में हुई थी और वर्ष 1901 से इसने नोबेल साहित्य पुरस्कार देना शुरू किया। तब से इससे पहले भी सात बार 1914, 1918, 1935, 1940, 1941, 1942 और 1943 में भी अनेक कारणों से नोबेल साहित्य पुरस्कार स्थगित किया गया था।
अब तक नौ भारतीयों को नोबेल पुरस्कार
रविंद्रनाथ टैगोर भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे, जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया। 1913 में नोबेल सम्मान पाने वाले वह प्रथम गैर यूरोपीय थे। सीवी रमण को 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार पुरस्कार दिया गया। मद्रास में 1888 में जन्मे सीवी रमण ने प्रकाश से जुड़ा प्रभाव की खोज की थी, जिसे रमन इफेक्ट कहा जाता है। भारतीय मूल के जाने-माने वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को 1968 में दवा के क्षेत्र में मीलस्तंभ कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उनका शोध इस विषय पर था कि एंटी-बायोटिक खाने का शरीर पर किस तरह का असर होता है। भारत के पंजाब में जन्मे खुराना ने अमेरिका के एमआईटी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की थी और अमेरिका में ही बस गए थे। सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। चंद्रशेखर का जन्म 1910 में लाहौर में हुआ और उनकी पढ़ाई अमेरिका में हुई थी। सितारों की संरचना के सैद्धांतिक शोध के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। अल्बानिया मूल की मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता में गरीबों-पीडि़त लोगों के लिए किया गया सेवा-कार्य दुनिया में अभूतपूर्व माना गया। उन्हें 1997 में शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनकी मौत कोलकाता में ही हुई थी। भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमत्र्य सेन अपनी पुस्तक (द आरग्यूमेंटेटिव इंडियन) के चर्चित लेखक हैं। अर्थशास्त्र में उनका काम उल्लेखनीय है। उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। त्रिनिदाद एंड टोबैगो में जन्मे विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल के पूर्वज गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से गिरमिटिया मजदूर के रूप में त्रिनिदाद पहुंचे थे, जिन्हें 2001 में साहित्य नोबेल सम्मान दिया गया। नायपॉल के उपन्यासों में भारत को महत्व दिया गया है। आरके पचौरी को वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन के लिए बनी कमिटी के साथ संयुक्त रूप से शांति के लिए नोबेल दिया गया। टेरी (टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट) से जुड़े राजेंद्र पचौरी का काम पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर है। भारतीय मूल के वेंकट रामाकृष्णन को वर्ष 2009 में डीएनए के घटक राइबोसोम की संरचना व कार्यप्रणाली को समझने के लिए रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया। मदुरै में जन्मे वेंकट रामाकृष्णन ने कैंब्रिज में पढाई की थी। कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 का शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने बच्चों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है।
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