कैमूर : इधर नक्सलवाद मुक्ति अभियान, उधर माओवाद का खदबदाता रक्तबीज

-छह साल बाद फिर चस्पा हुआ बिहार को उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ से जोडऩे वाले कैमूर पठार पर माओवादी संगठन के सोन-गंगा-विंध्याचल जोन का पोस्टर

-सीआरपीएफ पुलिस महानिरीक्षक ने किया दौरा, दिया छापेमारी का निर्देश

-पूर्व नक्सली कमांडर की पत्नी की अगुआई में आदिवासी-वनवासी चेतना समिति ने कर रखी है नक्सलमुक्ति समारोह आयोजन की तैयारी

-सोनमाटीडाटकाम (sonemattee.com) ने अक्टूबर 2017 में ही किया था नक्सलियों के संगठित होने का खुलासा

-डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड के 23 में 14 अभियुक्त अभी तक गिरफ्तार नहीं

– दो महिला (किशोर उम्र) अभियुक्त पर फैसला 14 मई को संभव

पटना/डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कृष्ण किसलय। बिहार के सीमांत जिला रोहतास के दक्षिणवर्ती हिस्से में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ को जोडऩे वाले कैमूर पठार पर पूर्व नक्सली कमांडर की पत्नी की अगुआई में आदिवासी-वनवासी चेतना समिति की ओर से नक्सलवाद मुक्ति दिवस मनाने की तैयारी की जा रही है कि इसी बीच पहाड़ पर नक्सलियों के फिर से सक्रिय होने की पुष्टि हुई है।

कैमूर पहाड़ पर दशकों तक जारी रक्तरंजित नक्सली गतिविधियां अद्र्धसैन्य बलों के लगातार अभियान से थम गईं तो यह माना जाने लगा कि नक्सली सेनाओं की रीढ़ इस इलाके में टूट चुकी है, मगर कैमूर पहाड़ के फिर से खदबदाने और जंगल के फिर से सुलगने जैसी नक्सली सक्रियता के मद्देनजर पुलिस महानिरीक्षक चारू सिन्हा ने सीआरपीएफ के तिऊरा शिविर  (जिला रोहतास) में हेलीकाप्टर से पहुंच कर विधि-व्यवस्था का जायजा लिया और नक्सलियों के ठिकानों को चिह्निïत कर छापेमारी व अन्य जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। सोनमाटी मीडिया समूह ने सात महीना पहले ही नक्सलियों के पहाड़ पर फिर से संगठित होने का खुलासा किया था। अक्टूबर 2017 में डिजिटल संस्करण (ग्लोबल न्यूजपोर्टल)  सोनमाटीडाटकाम (sonemattee.com) में इस बाबत खास रिपोर्ट पहाड़ पर फिर खदबदा रहा माओवादी रक्तबीज  प्रसारित की थी और जनवरी 2018  में प्रिंट संस्करण (पाक्षिक समाचार-विचार पत्र)  सोनमाटी में लीड समाचार पहाड़ पर खदबदा रहा माओवाद का रक्तबीज  प्रकाशित कर आगाह किया था।

नए नक्सली नायक का अवतरण, फोन कर मांगी लेवी
हालांकि पहाड़वर्ती पुलिस थानों तक नक्सलियों के ग्रामीणों द्वारा देखे जाने की सूचनाएं पहुंच चुकी थी, मगर पुलिस का कहना था कि नक्सलियों ने किसी आपराधिक घटना को अंजाम नहींदिया है। अभी भी पुलिस में कोई नक्सली कांड दर्ज नहींहुआ है, पर सोन-गंगा विंध्याचल जोन के नायक (नए नक्सली कमांडर) के नाम से दो सप्ताह पहले पोस्टर जगह-जगह चिपकाया गया है और अधिकारियों-ठेकेदारों-नेताओं से फोन कर लेवी मांगी गई है।

2011 में ही माओवादी कमांडर को सौंपी गई कमान
नक्सल अभियान के एएसपी दुर्गेश कुमार का कहना है कि नक्सली कमांडर दिलीप के रोहतास में आने-होने की सूचना पुलिस के मिली थी, मगर यह तय नहींथा कि दिलीप ने ही नायक नाम से अपनी पहचान छिपाकर सक्रिय हुआ है। डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड (2002) का आरोपी दिलीप बैठा उर्फ दिलीप पासवान 2005 तक इलाके में सक्रिय था। वह डीएफओ हत्याकांड में गिरफ्तार सीनियर नक्सली कमांडर निराला यादव का विश्वासपात्र माना जाता है। झारखंड के गढ़वा प्रखंड निवासी दिलीप की ससुराल पड़ोसी सीमांत जिला कैमूर के अधौरा प्रखंड के सारोदाग में है, जिस वजह से 2011 में नक्सली संगठन के कैमूर इलाके की कमान उसे सौंपी गई थी। दुर्गेश कुमार के अनुसार, दिलीप के साथ अन्य नक्सलियों के भी पहाड़ पर आने की सूचना मिली है। दिलीप और अन्य नक्सलियों की पुलिस तेजी से तलाश कर रही है और संदेहास्पद स्थानों पर छापेमारी भी कर रही है।
जेल से रिहा हुए नक्सलियों को किया संगठित
बिहार सहित चार राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश व छतीसगढ़ को जोडऩे वाले कैमूर पर्वत से बिखर चुके नक्सलियों ने सासाराम, औरंगाबाद व अन्य जेलों से रिहा होने के बाद अवसर का आक्सीजन पाकर अपने को फिर से मजबूत करने की रणनीति के तहत रक्तबीज की तरह संगठित करना शुरू कर दिया है। पुलिस व अद्र्ध सैन्य बलों के दबाव के कारण कैमूर पहाड़ी छोड़कर झारखंड में शरण ले रखे नक्सली कमांडर अजय राजभर ने जेल से रिहा हुए नक्सलियों को संगठित करने की पहल की, जिसकी सूचना रोहतास जिले के चेनारी, दरिगांव, बड्ड़ी स्थित पहाड़वर्ती थानों तक पहुंची।

उपेक्षा के कारण पहले डाकुओं और फिर नक्सलियों का आश्रय बना रोहतासगढ़
रोहतास जिले में कैमूर पर्वत स्थित प्राचीन रोहतास किला दशकों तक नक्सली संगठनों का शक्ति केेंद्र बना रहा था, जहां 26 जनवरी और 15 अगस्त को राष्ट्रीय तिरंगा के बजाय काला झंडा फहराया जाता था। जबकि अंग्रेजों के आधिपत्य जमा लेने से पहले रोहतास किला सदियों तक दिल्ली सल्तनत की एक प्रमुख सैन्य छावनी और पूरे बंगाल (बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश) की रोहतास सरकार के रूप में कैैंप कैपिटल (शिविर राजधानी) रहा था, जो देश की आजादी के बाद केेंद्र व राज्य सरकारों की उपेक्षा और दस्यु गतिविधियों के कारण वीराने में तब्दील हो गया। सड़क संपर्क की सुविधा से विहीन होने और जंगलों से घिरे होने से अलग-थलग पड़ जाने के कारण सरकार और प्रशासन को बहुत बाद में वनोत्पाद व खनिज संपदा के जरिये अवैध कमाई करने वाले विभिन्न राज्यों के विभिन्न नक्सली संगठनों व उनकी आर्मियों के पनाहगाह व रणनीतिक अड्डा बनने की जानकारी हो सकी।
नक्सली कमांडर ने ही चलाया नक्सलवाद मुक्ति का अभियान
बहरहाल, बिहार के सीमांत जिलों रोहतास और कैमूर के नौहट्टा, रोहतास व अघौरा प्रखंडों में आदिवासी-वनवासी चेतना समिति की ओर से 27 मई को नक्सलमुक्ति दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए और अब जेल से रिहा हुए पूर्व नक्सली कमांडर भी शामिल होंगे। समिति की ओर से इस अनुभव को आदवासियों-वनवासियों के बीच शेयर किया जाएगा कि पिछले छह सालों में कैमूर के सामाजिक जीवन में क्या परिवर्तन आया है? आदिवासी-वनवासी चेतना समिति की सचिव देवंती देवी के अनुसार, कैमूर पहाड़ नक्सल गतिविधियों के खत्म होने के बाद शांति का अनुभव किया जा रहा है और वनवासी परिवारों के बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। छह साल पहले 27 मई 2012 को माओवादी नक्सली संगठन के कमांडर अभय यादव ने नक्सलवाद की लाइन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद कैमूर पहाड़ से कोई आदिवासी-वनवासी माओवादी संगठन में घोषित तौर पर शामिल नहीं हुआ। आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके माओवादी संगठन के पूर्व जोनल कमांडर सुदामा उरांव ने आदिवासी-वनवासी चेतना समिति का गठन किया है।

डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड
डिविजन फारेस्ट आफिसर संजय सिंह की हत्या 15 फरवरी 2002 को रेहल वन रेंज के दफ्तर के बाहर की गई थी। नक्सली दस्ता संजय सिंह पर यह दबाव बनाना चाहता था कि वह वन माफिया पर कार्रवाई नहीं करें, जिनसे वे लेवी वसूलते हैं। नक्सली डीएफओ से पांच लाख रुपये की फिरौती भी मांग रहे थे। नक्सली दस्ता उस वक्त निराला यादव के नेतृत्व में रेहल गांव में आ रही एक डोली को जबरन ले जाने के लिए एकत्र हुआ था, जिसमें गढ़वा के एक नक्सली कमांडर की प्रेमिका थी और जिसकी शादी रेहल गांव के युवक से नक्सली कमांडर की मर्जी के खिलाफ की गई थी। डीएफओ हत्याकांड में 40 अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। किसी की गिरफ्तारी नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 22 मार्च 2002 को कांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई। मई 2002 में नक्सली विनोद रजवार को गिरफ्तार किया और उसके बयान पर 23 नक्सलियों पर नामदज प्राथमिकी दर्ज की गई। 15 दिसम्बर 2006 को हत्याकांड का मुख्य नक्सली निराला यादव गिरफ्तार किया गया।

15 साल बाद पोटा कोर्ट ने दी चार माओवादियों को उम्रकैद की सजा

15 साल बाद 5 जुलाई 2017 को 93 गवाहों के बयान के आधार पर सासाराम स्पेशल पोटा कोर्ट ने निराला यादव सहित चार माओवादियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 55 साल के निराला यादव के साथ रामवचन यादव, नीतीश यादव व ललन सिंह खरवार को भी उम्रकैद की सजा दी गई, जबकि सुदामा उरांव को 10 साल की सजा सुनाई गई। डीएफओ संजय सिंह के शरीर में पांच गोलियां दागने वाला निराला यादव औरंगाबाद जिले के ढीबरा पुलिस स्टेशन के वनविशुनपुर का रहने वाला है, जो 29 साल की उम्र में एमसीसी के गुरिल्ला दस्ते में शामिल हुआ था। रोहतास थाना के बभनतालाब गांव का रामबचन यादव 12-13 साल की उम्र से ही माओवादी संगठन के बाल दस्ते में काम करना शुरू कर दिया था। निराला यादव पर बिहार-झारखंड के विभिन्न पुलिस थानों में 17 कांड और रामबचन यादव पर पांच केस दर्ज हैं। रोहतास थाना के भदकोड़ा (भदोखरा) के आदिवासी परिवार के 35 वर्षीय ललन सिंह खरवार पर 10 मुकदमे दर्ज हैं, जो कुख्यात रामबली यादव द्वारा खेत पर कब्जा जमा लेने के कारण माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। माधा गांव (रोहतास थाना) 42 वर्षीय सुदामा उरांव माओवादी संगठन में भारवाहक के रूप में 2001 में शामिल हुआ था, जिस पर संजय सिंह हत्याकांड के समय सात दर्ज मुकदमे (ट्रायल में) थे।

हत्याकांड की दो महिला अभियुक्त किशोर उम्र

डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड के 23 में 14 नामदज अभियुक्त अभी तक गिरफ्तार नहीं किए गए हैं, जिनमें 5 महिलाएं भी हैं। इससे पहले 7 अप्रैल 2004 को रूपदेव यादव और विनोद रजवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जमानत पाने के बाद दूसरी महिला अभियुक्त न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुई है, जिसे न्यायालय ने फरार घोषित कर रखा है।  इस हत्याकांड में दो अभियुक्त किशोरी हैंं, जिनमें से एक गिरफ्तार किए जाने के बाद पटना रिमांड होम में थी। इस आरोपसिद्ध महिला अभियुक्त को रोहतास जिला किशोर न्याय परिषद ने 14 मई को तीन साल की सुनाई। चूंकि अभियुक्त सजा की अवधि पटना स्थित किशोरगृह (रिमांड होम) में गुजार चुकी थी, इसलिए उसे न्यायालय की ओर से मुक्त कर दिया गया। हत्या के समय इस अभियुक्त की उम्र नाबालिग (16 साल के आसपास) मानी गई थी।

तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप, निशांत राज

 

परीक्षा केंद्रों को प्रश्नपत्र ऑनलाइन : उपेंद्र कुशवाहा 

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी समाचार। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में पेपर लीक होने की घटनाओं की रोकथाम और सीबीएसई की साख के लिए परीक्षा केंद्रों को प्रश्नपत्र बैंकों की बजाय ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे। परीक्षा के एक घंटे पहले केंद्राधीक्षकों को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) उपलब्ध कराया जाएगा और छात्रों के परीक्षा केंद्र में पहुंचने के बाद कुल संख्या के अनुसार प्रश्नपत्र के प्रिंटआउट निकाले जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई व्यवस्था में छात्रों को परीक्षा शुरू होने के एक घंटे पहले सेंटर पर पहुंचना होगा।  पर किसी तरह की आंच नहीं आए इसलिए प्रश्नपत्र वायरल होने की घटना रोकने के कारगर उपाय किए जा रहे हैं।

 

अब नर्सिंग सेवा को ग्रामीण चिकित्सा सेवा के रूप में परिवर्तित करने की जरूरत : गोपालनारायण

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी समाचार। अब नर्सिंग सेवा को ग्रामीण चिकित्सा सेवा के रूप में परिवर्तित करने की दरकार है। यह देश-समाज के लिए वक्त की जरूरत है, क्योंकि संसाधनों के भारी अभाव और बड़ी ग्रामीण आबादी के कारण चिकित्सा के उपलबध संसाधनों से स्वास्थ्य सेवा को गांव-गांव तक कारगर ïव उपयोगी तरीके से पहुंचा पाना संभव नहींहै। यह विचार राज्यसभा के सांसद एवं नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के अध्यक्ष गोपालनारायण सिंह ने कालेज परिसर में विश्व नर्सिंग दिवस पर आयोजित सप्ताह कार्यक्रम के समापन पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
गोपालनारायण सिंह ने कहा कि आज भी नर्सिंग व्यावसाय (प्रोफेशन) से अधिक मानवीय सेवा ही है, इसलिए लोगों को अपने बच्चों को नर्सिंग सेवा के क्षेत्र में उतारना चाहिए और इसके उपयुक्त शिक्षा दिलाना चाहिए। यह सेवा के साथ रोजगार का सम्मानजनक जरिया भी है। सरकार इस चिकित्सकीय सेवा को समय और समाज की जरूरत के अनुरूप सक्षम-समृद्ध बनाए, ताकि इसका अधिक से अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक मिल सके। आज भी गांवों में झोला छाप (क्रैकर) इलाज करने वालों की सक्रियता इसीलिए बनी हुई है कि वहां मान्य चिकित्सा सुविधाओं का अपेक्षित विस्तार नहींहुआ है।
विश्व नर्सिंग दिवस पर आयोजित सप्ताह कार्यक्रम के समापन पर नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के उपाध्यक्ष डा. वाईएम सिंह, प्राचार्य डा. विनोद सिंह और विभागाध्यक्षों ने अपने संबोधन में चिकित्सा सेवा के बदलते स्वरूप, सामाजिक आवश्यकता, सघन आबादी के अनुरूप संसधान विस्तार आदि पर प्रकाश डाला। समारोह के संयोजन में नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल और इस अस्पताल की संचालक संस्था देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशकों गोविन्द नारायण सिंह व त्रिविक्रम नारायण सिंह और अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों ने सहयोग किया।

(इनपुट : भूपेन्द्रनारायण सिंह, मीडिया प्रभारी, नारायण मेडिकल कालेज)

 

 

धीरज कश्यप बने आईबीजेए के निदेशक

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी समाचार। शहर के प्रतिष्ठित स्वर्णाभूषण प्रतिष्ठान सोना ज्वेलर्स के संचालक धीरज कश्यप उर्फ टिंकू सीआईबीजेए (इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन) के बिहार राज्य बोर्ड के निदेशक मनोनीत किए गए हैं। श्री टिंकू भाजपा व्यवसाय प्रकोष्ठ के राज्य उपाध्यक्ष और डेहरी चैंबर्स आफ कामर्स के सचिव अमित कुमार कश्यप उर्फ बबल के बड़े भाई हैं। देश के सबसे बड़े और सबसे पुराने संगठन का निदेशक बनाया जाना शहर के लिए व्यावसायिक गौरव की बात है, जिसके लिए स्वर्णकार, समाज, आभूषण कारोबार के संगठनों और शहर के अन्य सामाजिक संगठनों ने उन्हें बधाई दी है। धीरज कश्यप उर्फ टिंकू ने कहा है कि वे इस व्यावसायिक सम्मान की रक्षा करते हुए स्वर्णाभूषण कारोबारियों के हितों की रक्षा की दिशा में गंभीरता से प्रयासरत रहेंगे।

 

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