मृत जटायु में नई उड़ान के पंख प्रतिरोपण की कवायद

डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कृष्ण किसलय। रोहतास जिले में सोन नदी के सबड़े बड़े तटवर्ती शहर डेहरी-आन-सोन से छह किलोमीटर दूर कैमूर पर्वत की उपत्यका में मृत ‘जटायुÓ के रूप में पड़े हुए सूअरा हवाई अड्डे की जमीन पर नई औद्योगिक उड़ान के पंख प्रतिरोपण की कवायद जारी है। सूअरा हवाई अड्ड़ा बीती सदी के अंतिम दशक में देश का औद्योगिक हड़प्पा-मोहनजोदड़ो बन गए डालमियानगर रोहतास उद्योगसमूह के अंतर्गत था, जहां से इस उद्योगसमूह के मालिक (प्रमोटर) अपने निजी विमान से आर्थिक-वाणिज्यिक हौसले के साथ उड़ान भरते थे। उद्योगों की दुनिया में भारत की आजादी के वक्त 500 एकड़ वाले विशाल औद्योगिक परिसर डालमियानगर का अखंड भारत (पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित) में तीसरा स्थान हुआ करता था।

बियाडा ने 140 करोड़ रुपये में खरीद था सूअरा हवाई अड्डा को 
सरकारों की उपेक्षा, प्रमोटरों की अरुचि, प्रबंधन-श्रमिक के बढ़ते विवाद के कारण और तकनीकी रूपांतरण व पूंजी निवेश-नियोजन के अभाव में गुजर रहे रोहतास उद्योगसमूह को पटना कंपनी जज ने 1997 में समापन (लिक्विडेशन) में डाल देने का फैसला लिया। इसके बाद रोहतास उद्योगसमूह के करीब 500 एकड़ के बांक फार्म को झूला वनस्पति ग्रुप ने 18 करोड़ रुपये में, 219 एकड़ के डालमियानगर कारखानपरिसर को रेलवे ने 141 करोड़ रुपये में और 86 एकड़ के सूअरा हवाई अड्डा परिसर को बियाडा ने 140 करोड़ रुपये में खरीद लिया।

टेक्सटाइल पार्क योजना का आरंभिक कार्य शुरू : प्रौद्योगिकी मंत्री
बिहार के उद्योग एवं विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री जयकुमार सिंह के अनुसार, बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिकरण) द्वारा सूअरा हवाई अड्डे की जमीन पर टेक्सटाइल पार्क विकसित करने की योजना बनाने का आरंभिक कार्य शुरू किया गया है। रेडीमेड कपड़ों का निर्माण केंद्र बनाने के लिए आरंभिक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। लुधियाना की दो दर्जन से अधिक कंपनियां यहां अपना कारखाना (विविंग प्लांट) लगाने पर सहमत हैं।

सैकड़ों को प्रत्यक्ष और सैकड़ों को अप्रत्यक्ष तौर पर प्राप्त होगा रोजगार
भाजपा के उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक एव चैंबर्स आफ कामर्स की डेहरी-आन-सोन इकाई के सचिव अमित कुमार उर्फ बबल कश्यप ने बताया कि उद्योग विभाग और टेक्सटाइल उद्यमियों के साथ हुई राउंड टेबल मीटिंग में बड़े वस्त्र व्यवसायी यहां कपड़ा कारखाना (गारमेंट प्लांट) स्थापित करने में रुचि दिखा चुके हैं। जनवरी में लुधियाना के वस्त्र निर्माताओं का दल सुअरा पहुंचकर भूमि को देख चुका है और इसे रेडीमेड इकाई के लिए उपयुक्त मान चुका है। इंडस्ट्रीयल एरिया के रूप में विकसित कर उद्योगों को सौंपे जाने के लिए ही बियाडा ने सूअरा हवाई अड्डा की जमीन को वर्ष 2011 में खरीदा था। कपड़ा उद्योग के स्थापित होने से यहां के सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर और सैकड़ों लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार प्राप्त होगा। डालमियानगर रोहतास इंडस्ट्रीज के खत्म होने से डेहरी-आन-सोन और इसके आसपास का इलाका बीते तीन-चार दशकों में आर्थिक तौर पर काफी पिछड़ चुका है। टेक्सटाइल हब स्थापित होने पर डेहरी-आन-सोन का त्वरित वाणिज्यिक विस्तार होगा और एक हद तक रोहतास इंडस्ट्रीज के अभाव की आर्थिक भरपाई हो सकेगी।

टेक्सटाइल हब के विकसित होने में शक नहीं है, मगर….
डेहरी-आन-सोन के प्रतिष्ठित व्यवसायी विश्वनाथ प्रसाद सरावगी (जयहिंद कांप्लेक्स) और उदय शंकर (मोहिनी इंटरप्राइजेज) का मानना है कि यदि वास्तव में सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कार्य करे तो यहां टेक्सटाइल हब के विकसित होने में शक नहीं है। डेहरी-आन-सोन के सड़क संपर्क के स्वर्णिम चतुर्भुज (नेशनल हाइवे) और रेल संपर्क के फ्रेट कारीडोर का हिस्सा होने के कारण बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ देश के पूर्वी व दक्षिणी हिस्से के प्रदेशों के कपड़ा बाजार से भी यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज जुड़ जाएगी। इससे जो अंतरराज्यीय नेटवर्क तैयार होगा, उससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों को तरह-तरह के रोजगार करने का अवसर मिलेगा।

(इनपुट व तस्वीर : निशांत राज)

 

छोटे कारोबारियों का धन हड़पना चाहते हैं नए-पुराने कारखानेदार

डेहरी-आन-सोन (बिहार)-विशेष संवाददाता। पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह ने कहा है कि रोहतास जिला के बनजारी स्थित कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स लिमिटेड के बकायेदार सहित मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए हर संभव लड़ाई लड़ी जाएगी। इस कंपनी को बनाने और बचाए रखने में इसके अधिकारियों-श्रमिकों ने अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। मगर आज उन्हें क्या मिला? कल्याणपुर सीमेंट और भारत डालमिया कारखाना छोटे कारोबारियों का धन हड़पना चाहती है। बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत बनजारी स्थित कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स लिमिटेड के कारखाना, जमीन, आवासीय कालोनी आदि संपत्ति को 156 करोड़ रुपये में ही बेच दिया जाना या हस्तांतरित कर दिया जाना एक तरह की साजिश है। यह बात पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह ने कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स के सेल्स प्रमोटरों की हुई बैठक में कही।
उन्होंने कहा कि पुरानी व नई कंपनी प्रमोटर, सेल्स प्रमोटर, डीलरों का बकाया हड़पना चाहती है। कोलकाता स्थित कंपनी कोर्ट से एकतरफा निर्णय होने पर अंकुश रखे जाने के लिए कोर्ट में बकाएदारों व श्रमिकों की तरफ से बेहतर वकील की व्यवस्था नहींकी गई और खानापूर्ति की गई। सेल्स प्रमोटरों के बकाए का भुगतान कंपनी को करना होगा। नियमानुसार सबका बकाया देने का प्रावधान है। खरीदार ने किसी को जानकारी नहीं होने दी कि कारखाना, जमीन या परिसंपति खरीदी जा रही है। जिन लोगों का करीब 210 करोड़ रुपये कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स लिमिटेड पर बकाया है, उनको भी इस बात की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। जबकि कंपनी को बेचे जाने के वक्त उसके 10 बकायेदारों की मौजूदगी में उनका पक्ष सुने जाने का प्रावधान है। यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। एक तरह से खामोशी से कंपनी को बेच देने और दूसरी कंपनी को स्थानांतरित कर देने का निर्णय लिया गया। इससे जाहिर है कि मिली-भगत हुई है।
सत्यनारायण सिंह ने कहा कि कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स कंपनी के कार्यालय के लगभग सभी पदाधिकारियों की ऐन-केन प्रकारेण छंटनी कर दी गई है। नई कंपनी भारत डालमिया की ओर से नया सीमेंट प्लांट लगाने की योजना है। नई कंपनी मात्र 25 फीसदी कर्मियों को रखेगी। तय है कि बाकी को हटाया जाएगा। कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वकर्स की बारून स्थित अनुसंगी परिवहन इकाई के अधिसंख्य मजदूरों को हटा दिया गया है। बनजारी स्थित कारखाना से भी मजदूरों को हटाया जाएगा।

(रिपोर्ट व तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)

सिन्ट्रा के श्रमिकों ने किया तीखे आंदोलन का आगाज

 

उधर, सोन नदी पार बारुन (औरंगाबाद) स्थित कल्याणपुर लाइम एंड सीमेन्ट वक्र्स लिमिटेड (बनजारी, रोहतास) की अनुसंगी परिवहन इकाई सिन्ट्रा लिमिटेड के कर्मचारियों ने तीखा आंदोलन करने का ऐलान किया है। बारुन रेलवे साइडिंग स्थित सिन्ट्रा लिमिटेड के सौ से अधिक कर्मचारियों ने वहां से सोन नदी पुल से पांच किलोमीटर पैदल चलकर डालमियानगार (डेहरी-आन-सोन) स्थित श्रम कार्यालय तक की यात्रा कर अपने आंदोलन का आगाज भी कर दिया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि इन्हें करीब ढाई साल से वेतन नहींमिला है। इनके पीएफ आदि फंड भी पुरानी कंपनी (कल्याणपुर लाइम एंड सीमेंन्ट वक्र्स) ने दिया और नई कंपनी (डालमिया भारत सीमेन्ट) के अधिकारी यह कहते हैं कि श्रमिकों के बकाए का भुगतान पुरानी कंपनी ही करेगी।

(तस्वीर : सुरेंद्र तिवारी)

 

 

 

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