विदा हुआ महा-उत्सव दशहरा, छोड़ गया मिट्टी, रंग-रोगन का जखीरा

डेहरी-आन-सोन/सासाराम/दाउदनगर/औरंगबाद (बिहार)-विशेष प्रतिनिधि। रावण-दहन के साथ दशहरा का दस दिनों का पर्व व विजयदशमी का उत्सव रावण-वध के साथ समाप्त हो गया और मूर्ति-विसर्जन की अंतिम औपचारिकता के लिए मिट्टी, रंग-रोगन का जखीरा छोड़ गया।

डालमियानगर के झंडा चौक मैदान में रावण-दहन को देखने के लिए हर साल की तरह इस साल भी शहर और आस-पास के गांवों के महिला-पुरुष-बच्चों की भारी भीड़ एकत्र हुई। यहां रावण-दहन का भव्य सामूहिक आयोजन रोहतास इंडस्ट्रीज के संस्थापकों-संचालकों द्वारा किया जाता था। यहां झंडा चौक के ही मैदान में रामलीला का मंचन करने के लिए दूसरे प्रदेशों से प्रतिष्ठित रामलीला मंडली आमंत्रित की जाती थी और रावण-वध व पुताल दहन का आयोजन उसी रामलीला मंचन का हिस्सा होता था।

एनटीपीसी और एनएमसीएच में सामूहिक डांडिया नृत्य
औरंगाबाद जिले के नबीनगर में एनटीपीसी परिसर में पूजा समिति और कर्मचारी कल्याण संघ के संयुक्त तत्वावधान में दुर्गापूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। देवी जागरण, गरबा नृत्य और डांडिया नृत्य का भी सामूहिक संयोजन हुआ।

इस अवसर पर डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ संगीतकार संजय श्रीवास्तव ने अपनी टीम के कलाकारों के साथ गायन-वादन का आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

जबकि इससे पहले डेहरी-आन-सोन के निकट जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटपल परिसर में छोटे बच्चों के स्कूल नारायण किड्ज वल्र्ड में नन्हें बच्चों का सामूहिक डांडिया नृत्य आयोजित किया गया था।

दशहरा के अवसर पर सासाराम में संतपाल सीनियर सेकेेंडरी स्कूल परिसर में छात्र-छात्राओं ने रावण-वध लीला की आकर्षक प्रस्तुति की थी।

मिल्लत के दो नाम : युवा किंग कला मंच और सिमरी का महावीरी झंडा
डेहरी-आन-सोन में संस्था युवा किंग कला मंच (अध्यक्ष पूर्व जिला पार्षद सत्येन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता, संदीप गुप्ता, महासचिव बबली सिंह विश्नोई, सचिव वारिस अली पत्रकार) संभवत: एकमात्र उदाहरण है कि जहां हिन्दु-मुस्लिम समुदाय के लोग बिना भेद-भाव के दुर्गापूजा का सम्मिलित आयोजन पिछले 23 सालों से लगातार करते रहे हैं।

उधर, रोहतास जिला के करगहर प्रखंड के सिमरी गांव में भी इसी तरह दशमी के दिन हिन्दू-मुस्लिम द्वारा संयुक्त रूप से महावीरी झंडा निकालने की एक सदी से अधिक पुरानी जीवंत परंपरा का इस साल भी सफलतापूर्वक निर्वहन किया गया।

हर इलाके के दुर्गापूजा पंडाल से रू-ब-रू कराया
एक साल पहले आरंभ हुई सोशल मीडिया के एक समूह (वेबसाइट) रोहतासडिस्ट्रिक्टडाटकाम ने रोहतास जिला में दूर्गापूजा उत्सव के हर शहर और कस्बे में आयोजित दुर्गापूजा पंडाल के चित्र दिखाने का कार्य किया। इस सोशल वेबसाइट के संचालक अंकित कुमार ने विभिन्न पोस्टों से तस्वीरें संग्रह (डालनलोड) कर इस वेबसाइट पर पोस्ट करने का काम किया, ताकि पता चल सके कि किस जगह का दुर्गापूजा पंडाल कैसा रहा? रोहतासडिस्ट्रिक्टडाटकाम एक खुला मंच है, जिस पर कोई भी अपना पोस्ट सीधे साझा कर सकता है।

भीड़ के दबाव के कारण भेजना पड़ा वाट्सएप संदेश
डेहरी-आन-सोन में युवा किंग कला के मूर्ति पंडाल पर पुलिस की व्यवस्था नौवमी (18 अक्टूबर) की रात 8.30 बजे तक नहीं हो सकी थी। युवा किंग कला के सचिव वारिस अली ने वाट्सएप पर 18 अक्टूबर की देर शाम एसपी, एसडीएम और थाना से यह आग्रह किया गया था कि दर्शनार्थी भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, पुलिस नहीं है, भीड़ के दबाव में कोई भी अंदेशा हो सकता है (जैसा कि संदेश के मजमून से जाहिर होता है)। विधि-व्यवस्था की पूर्व-समीक्षा और पूर्व-तैयारी समाज और प्रशासन दोनों स्तरों पर होती है। बेशक डेहरी-आन-सोन में स्टेशन रोड के मोहनबिगहा-मालगोदाम चौक की संकरी जगह और यहां उमडऩे वाली भीड़ का अंदाजा प्रशासन को होगा। इसीलिए विधि-व्यवस्था के तहत  डीएम, एसपी और एसडीएम डालमियानगर झंडा चौक के मैदान में रावण-दहन स्थल का निरीक्षण करने एक दिन पहले पहुंचे भी थे।
पर्यावरण प्रदूषण का भी खड़ा है सवाल
दुर्गापूजा के मूर्ति-विसर्जन के साथ पर्यावरण-प्रदूषण का सवाल भी खड़ा होता है, क्योंकि मूर्तियों को कच्ची मिट्टी को सूखाकर रंग-रोगन, रसायन मिलाकर उन्हें वांछित आकार दिया जाता है। इस तरह मूर्तियां तैयार हुई मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक हंै और असंतुलन पैदा करने वाली हैं। मूर्तियों का विसर्जन, नदी, नहर, तालाब आदि में करने की परंपरा है। जाहिर है, मूर्ति-विसर्जन का दुष्प्रभाव भी जल और जमीन पर पड़ता है। इसलिए इस दिशा में भी उत्सवी समाज को सोचना होगा। सोचना होगा पर्यावरण संतुलन-संरक्षण के खातिर और समझना होगा कि धरती पर्यावरण-असंतुलन के विकट खतरे से घिरी हुई है, हवा-पानी-मिट्टी के संकट से जूझ रही है, जिससे आदमी की जीवन भी जुड़ा हुआ है। उत्सव को रोका तो नहीं जा सकता, मगर भविष्य के लिए संयम तो बरता जा सकता है, इसकी अनियंत्रित सीमा तो निर्धारित की ही जा सकती है।

(संपादन : कृष्ण किसलय, रिपोर्ट व तस्वीर संयोजन : निशांत राज)

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    पूर्व मंत्री डॉ. खालिद अनवर अंसारी का निधन

    -मुख्यमंत्री ने डॉ. खालिद अनवर अंसारी के निधन पर जताया दुःख, राजकीय सम्मान के साथ होगा उनका अंतिम संस्कार डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार के पूर्व केबिनेट मंत्री सह आंल…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    खेतीबाड़ी कृषि–क्लिनिक योजना अंतर्गत चयनित प्रशिक्षुओं को कृषि संबंधीत दी गई जानकारी

    खेतीबाड़ी कृषि–क्लिनिक योजना अंतर्गत चयनित  प्रशिक्षुओं को कृषि संबंधीत दी  गई जानकारी

    परिश्रम ही सफलता की कुंजी है : डॉ. महापात्र

    परिश्रम ही सफलता की कुंजी है : डॉ. महापात्र

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या