पटना/डेहरी-आन-सोन (विशेष प्रतिनिधि)। बिहार के पूर्व पथनिर्माण मंत्री और राजद विधायक इलियास हुसैन की विधानसभा सदस्यता बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजयकुमार चौधरी ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 (धारा-8) और संविधान के अनुछेद 191 के प्रावधान के अनुसार खत्म कर दी है। 27 सितंबर को ही अलकतरा घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार देते हुए चार वर्ष सश्रम करावास की सजा दी थी, मगर विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई ध्यान अब आया। दरअसल हुआ यह कि रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के बड़की खड़ारी गांव में शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज (सासाराम) के भवन की आधारशिला के शिलापट्ट पर विधायक इलियास हुसैन की गरिमामयी उपस्थिति बताई गई थी, जबकि वह सजा सुनाए जाने के बाद से ही झारखंड की जेल में हैं। इस आशय का विज्ञापन भी एक दिन पहले पटना से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबारों में दिया गया था। यह अलकतरा घोटाला झारखंड के चतरा जिले से संबंधित है, जिसके पैसे से इलियास हुसैन ने पहली बार रिवाल्वर, स्टीम कार तथा चांदी का टी-सेट खरीदे थे। इलियास हुसैन के विरुद्ध अलकतरा घोटाला के नौ अलग-अलग मामले हैं जिनमें से एक में वह आरोपमुक्त हुए हैं और दूसरे में सजा मिली है। सभी मामलों में सीबीआई अपनी तरफ से आरोपसिद्ध कर चुकी है और मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।
डिहरी विधानससभा क्षेत्र से चुनाव होना तय
इलियास हुसैन की विधानसभा सदस्यता खत्म होने जाने के बाद डिहरी विधानससभा क्षेत्र से चुनाव होना तय हो गया है। हालांकि इलियास हुसैन की सजा के मद्देनजर डेहरी विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव होने का कयास पहले से लगाया जा रहा था, मगर इस बात को भी हवा दी जा रही थी कि हाई कोर्ट से राहत मिलने पर यथास्थिति कायम रह सकती है। अब उप चुनाव होने की सौ फीसदी परिस्थिति पर कयास लगाया जाने लगा है कि डिहरी विधानसभा क्षेत्र से किस-किस दल से कौन-कौन प्रत्याशी हो सकते हैं? सवाल यह बना हुआ है कि हाई कोर्ट से इलियास हुसैन को राहत नहीं मिली तो राजद का टिकट किसे मिलेगा?
संभव है कि राजद की ओर से इलियास हुसैन की बीवी सलमा खातून या बेटा फिरोज हुसैन को सहानुभूति की रणनीति के तहत चुनाव में उतारा जाए। सलमा खातून को चुनाव प्रचार का अनुभव भी है। चर्चा तो इस बात की भी की जा रही है कि कभी पूर्व केेंद्रीय मंत्री कांति सिंह का टिकट काटने का प्रयास करने वाले अब जेल में बंद अलकतरा घोटाला के चर्चित नेता इलिायास हुसैन क्या बेटा-बीवी को टिकट दिला पाएंगे? इनकी बेटी तो राजद से टिकट नहीं मिलने या जीत नहीं होने की आशंका के मद्देनजर ही प्रतिपक्षी पार्टी जदयू का आधिकारिक हिस्सा बन चुकी हैं, क्योंकि इन्हें पता है कि डिहरी विधानसभा चुनाव में इन्हें अपने अब्बू की अलकतरा-कालिख (घोटाले) का भी सामना करना पड़ सकता है।
अब्बू की इजाजत से आई , मगर अब्बू की राजनीति से लेना-देना नहीं
हाजीपुर अस्पताल (वैशाली) में स्त्री रोग विशेषज्ञ रहीं इलियास हुसैन की बेटी डा. आसमां परवीन की तैयारी सियासी समर में कूदने की है। डिहरी विधानसभा सीट से उनकी जीत पिता की खराब छवि की वजह से संभव नहीं, इसीलिए वह इस्तीफा देकर जदयू में आईं। इन्हें जदयू का प्रदेश महासचिव भी बनाया गया है। डा. परवीन ने राजद की विपक्षी पार्टी जदयू में आते वक्त कहा था कि वह नीतीश सरकार की शराबबंदी, दहेजनिषेध जागरुकता अभियान की कायल हैं। वह अब्बू की इजाजत से आई हैं, मगर अब्बू की राजनीति से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है।
डिहरी विधानसभा सीट फिलहाल रालोजपा के खाते में
डिहरी विधानसभा सीट फिलहाल रालोजपा के खाते में है। रालोसपा के एनडीए से अलग होने पर ही डा. आसमां परवीन का जदयू से डिहरी विधानसभा क्षेत्र से लडऩा संभव होगा। अगर रालोसपा एनडीए से अलग हुई और टिकट जदयू के खाते में आया तो स्थानीय वरिष्ठ नेता खुर्शीद अनवर (छोटन खां) भी एक दावेदार हो सकते हैं। अगर डिहरी विधानसभा क्षेत्र भाजपा के हिस्से में आया तो इस पार्टी से भी कई दावेदार हो सकते हैं, जो अभी से ही तीरंदाजी में जुटे हुए हैं। उपचुनाव होने की स्थिति में यह भी कयास लगाया जाने लगा है कि क्या उपचुनाव में जितेन्द्र कुमार (रिंकू सोनी) को फिर रालोसपा से टिकट मिल सकेगा? भीतर की बात यह है कि पिछली बार उन्हें मिला टिकट किसी और का था, जिस पर सियासी तिजारत का बड़ा दांव लगा था। रिंकू सोनी विजेता रहे इलिायस हुसैन से चार हजार से भी कम मतों से ही पीछे रह गए थे।
आजादी के बाद हुए चुनाव में डिहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक
16 अक्टूबर 2015 को हुए चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से बसपा के संतोष कुमार सिंह, सीपीआई के ब्रजमोहन सिंह, सीपीआई एमएल के अशोक कुमार सिंह, गरीब जनता दल के बिपिनबिहारी सिंह, राष्ट्रसेवा दल के प्रदीप कुमार जोशी, राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जितेन्द्र कुमार (रिंकू सोनी), समाजवादी पार्टी के उपेन्द्र सिंह शक्ति और शिव सेना से जगलाल यादव चुनाव के मैदान में थे। इनके अलावा रामगोविन्दधर दुबे, मुनेश्वर गुप्ता, राजू कुमार, नरेन्द्र कुमार मौर्य, प्रो. राज कुमार, कमलकिशोर पाल भी चुनाव में खड़े थे।
आजादी के बाद हुए चुनाव में डिहरी विधानसभा क्षेत्र से प्रथम विधायक होने का श्रेय प्रसिद्ध क्रांतिकारी एवं श्रमिक नेता बसावन सिंह को है। 1951-52, 1957 में बसावन सिंह, 1961, 1967 में अब्दुल क्यूम अंसारी, 1977 में बसावन सिंह, 1980 में मो. इलियास हुसैन, 1985 में खालिद अनवर अंसारी, 1990, 1995, 2000 में मो. इलियास हुसैन, 2005 में प्रदीपकुमार जोशी, 2010 में ज्योति रश्मि और 2015 में मो. इलियास हुसैन डिहरी विधानसभा क्षेत्र से फिर विधायक बने थे।
प्रदीप जोशी ने विधायक पत्नी ज्योति रश्मि की बनी-बनाई जमीन बदल कर की गलती
पूर्व विधायक प्रदीप कुमार जोशी ने विधायक पत्नी ज्योति रश्मि का पांच सालों की बनी-बनाई जमीन बदल कर खुद खड़े होने की गलती की, जबकि महिला मतदाताओं का जुड़ाव ज्योति रश्मि से था। ज्योति रश्मि ने राष्ट्र सेवा दल से सासाराम से चुनाव लड़ा और हार गई। कांग्रेस का राजद से गठबंधन होने की वजह से अलकतरा घोटाले में इलियास हुसैन की खराब छवि के कारण डिहरी सीट कांग्रेस के खाते में भी जा सकती है। अब्दुल क्यूम अंसारी के पोते तनवीर हसन वालिद खालिद अनवर अंसारी के साथ सक्रिय हैं। ओबरा विधानसभा क्षेत्र से 2010 में ही दारोगा रहे सोम प्रकाश से चुनाव हारने के बाद गाडफादर केेंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के भरोसे राजद से भाजपा में आए सत्यनारायण यादव भी ताल ठोंक रहे हैं। लोजपा से भी छोटे या बड़े खिलाड़ी भी गठबंधन में अवसर होने पर उपचुनाव लड़ सकते हैं।
(आगे भी जारी)
विशेष रिपोर्ट : कृष्ण किसलय (समूह संपादक सोनमाटी और सोनमाटीडाटकाम), तस्वीर : अखिलेश कुमार