

पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने विश्व जल दिवस मनाया। वर्ष 2025 का थीम ग्लेशियर संरक्षण था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ताजे पानी के संसाधनों को बनाए रखने में ग्लेशियरों की महत्वपूर्ण भूमिका और जलवायु परिवर्तन के बीच उनके संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
अपने संबोधन में संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की चिंता व्यक्त की, जिससे भविष्य में ताजे पानी की उपलब्धता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए सतत् पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ग्लेशियर ताजे पानी के प्रमुख भंडारों में से एक हैं। यदि ग्लेशियरों का पिघलना इसी गति से जारी रहा, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए ताजा पानी उपलब्ध नहीं रहेगा।
उन्होंने वृक्षारोपण को बढ़ावा देने, जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और मिट्टी में जैविक पदार्थों को शामिल करने जैसे उपायों को अपनाने की सलाह दी जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सके।

डॉ. अशुतोष उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग ने कृषि में जल उपयोग को अनुकूलित करने के लिए आधुनिक सिंचाई तकनीकों और कुशल फसल प्रणालियों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें कृषि में जल के इष्टतम उपयोग के लिए आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाने और कम जल खपत वाली फसल और फसल प्रणाली को अपनाने पर जोर देना चाहिए।
उन्होंने “5 ज”—जन, जल, जमीन, जानवर और जंगल की अवधारणा को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
इस चर्चा में आगे योगदान देते हुए डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग ने “जल मित्र” पहल की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे लोगों को सुरक्षित और ताजे पानी को संरक्षित करने और दैनिक जीवन में जल के दुरुपयोग को कम करने के लिए शिक्षित और प्रेरित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि जल मित्र के माध्यम से जन-जागरूकता बढ़ाकर जिम्मेदार जल उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
इस अवसर पर डॉ. ए. के. चौधरी, प्रभारी प्रमुख, फसल अनुसंधान प्रभाग ने आधुनिक कृषि में उचित मात्रा में जल के प्रयोग पर बल दिया ताकि जल का दुरूपयोग कम हो सके एवं डॉ. अजय कुमार ने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघल रहा है, यदि इसे नहीं रोका गया, तो भविष्य में भारी संकट उत्पन्न हो सकता है।
इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रशासनिक कर्मचारी तथा 30 किसान उपस्थित थे, जिन्होंने सतत् जल प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया। डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक ने मंच संचालन किया व धन्यवाद ज्ञापन दिया।