बाल दिवस के अवसर पर बाल कविताएं
मैं बालक गुमनाम अभी हूँ।
मुन्ना चुन्ना नाम अभी हूँ।।
मिट्टी बदन पर मल रहा हूँ।
बज्र सा मैं खुद ढल रहा हूँ।।
बजरंग सा बलवान मैं हूँ।
इस देश का आह्वान मैं हूँ।।
अभी जो वर्तमान खड़ा हूँ।
देश का स्वाभिमान खड़ा हूँ।।
मैं राम रहीम का रूप हूँ।
बोस गांधी का स्वरूप हूँ।।
मैं थोड़ा बहुत शर्मीला हूँ।
बालक हूँ पर गर्वीला हूँ।।
कालजयी घनश्याम
नई दिल्ली
आज आया बच्चों का त्यौहार ,
बाल दिवस यह कहलाता है ।
हॅंसते खेलते स्कूल जो जाते ,
गुरुजनों को जो भी ध्याता है ।।
थे भारत के जो रत्नों में रत्न ,
प्रथम प्रधानमंत्री कहलाते हैं ।
था जिन्हें सारे बच्चों से प्यार ,
वे बच्चों के चाचा कहलाते थे ।।
बच्चे कहते थे सारे ही जिन्हें ,
चाचा नेहरू बहुत ये प्यारे थे ।
बच्चों को ये विकसित करना ,
उद्देश्य उनके बहुत न्यारे थे ।।
बच्चे हमारे हैं राष्ट्र के धरोहर ,
बच्चे ही कर के सुंदर नेता हैं ।
बच्चे ही अभिनेता अधिकारी ,
यही बच्चे सारे सुंदर वेत्ता हैं ।।
14 नवंबर जन्मदिन यह मेरा ,
आज इन बच्चों को वरता हूॅं ।
अपना जन्मदिन ये मैं आजसे ,
बच्चों को समर्पित करता हूॅं ।।
तबसे नेहरू जन्मदिवस यह ,
सारे बच्चों के यह नाम हुआ ।
आज का दिन बच्चों का दिन ,
सुंदर सुनहरा यह काम हुआ ।।
बच्चे भी यह हॅंसते व खेलते ,
जन्मदिवस पे जश्न मनाते हैं ।
केक काटते मिठाईयाॅं बाॅंटते ,
स्वयं खाते और वे खिलाते हैं ।।
करते हैं वे समारोह आयोजन ,
चाचा का गुणगान वे करते हैं ।
हम सब उनके राष्ट्र निवासी ,
हम नहीं आपस में लड़ते हैं ।।
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।
बाल दिवस पर 1. मैं देश का स्वाभिमान हूं 2. बाल दिवस दोनों कविताएं बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई है। बढ़िया।👍