

डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। अपने जीवन शैली में बदलाव कर के कैंसर से बचाव किया जा सकता है। हम अपनी खान-पान की आदतों में थोड़ा सुधार के साथ ही प्लस्टिक पदार्थो से बने बर्तनों का उपयोग कम कर के कैंसर जैसी घातक बीमारी से बच सकतें हैं। यह बातें विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय अंतर्गत नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज द्वारा आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने कही।
उक्त सेमिनार में कैंसर से रोक-थाम, उपचार, दर्द निवारण हेतु औषधि, पुनर्वास एवं जाच-उपचार की नयी तकनीकों पर वक्ताओं ने अपनी प्रस्तुती दी। मुख्य वक्ताओं में नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉ. नवीन कोटी, नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज के डॉ . विभूति, अंशुल कुमार एवं दीपक कुमार सिंघानिया तथा नारायण केयर पुनर्वास केंद्र के नैदानिक मनोविज्ञानिक डॉ. गुलज़ार अहमद ने भौतिक रूप से उपस्थित हो कर जानकारी साझा की। इस सेमिनार में ऑनलाइन मोड़ में भी अनेक स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं चिकित्सा विज्ञान के छात्र-छात्राएं जुड़े थे। कार्यक्रम के दौरान बेगुसराय से आखं रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत कुमार, वाराणसी से फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ. अभिषेक संदिल्या एवं डॉ. दिव्या कश्यप तथा मोतिहारी से आयुर्वेदाचार्य डॉ. अरशद हुसैन ने अपनी-अपनी विशेषज्ञता पर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में कई कैंसर मरीज भी उपस्थित थे जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए। अपने संबोधन में नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. अवनीश रंजन ने कहा कि कैंसर के विषय में समाज में जितनी ज्यादा जागरूकता होगी उतना हम इस बीमारी से बच सकतें है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी एक स्वास्थ्य देख-भाल कार्यकर्ता हैं इसलिए आप सभी को कैंसर से रोक-थाम के लिए जन जागृति फैलानी चाहिए और इससे खुद भी बचें साथ ही औरों को भी बचाने का प्राण लें। इस जागरूकता सेमिनार में अनेक चिकित्सक गण, नारायण पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट एवं अलाइड साइंसेज के सभी फैकल्टी, छात्र-छात्राएं सहित उनके अभिभावक उपस्थित थे। सत्र समाप्ति के बाद सभी प्रतिभागियों को प्लास्टिक के उपयोग से परहेज करने हेतु शपथ दिलाई गयी। कार्यक्रम आयोजन समिति के साथ-साथ सभी प्रतिभागियों ने जागरूकता मुहीम के लिए बैगनी रंग के रिबन को अपने कॉलर पर लगाया हुआ था। कार्यक्रम के अंत में धन्यबाद ज्ञापन डॉ. विजय पठानिया ने दिया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, जीएनएसयू)