विश्व पर्यावरण : मौसम के मद्देनजर एहतियात की दरकार
दुनिया के सभी समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने और इसके खतरे के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता…
पत्रकारिता दिवस: पत्रकारिता के बदलते स्वरूप
पत्रकारिता दिवस : पत्रकारिता के बदलते स्वरूप -निशांत राज, प्रबंध संपादक, सोनमाटी भारतीय पत्रकारिता के जन्म से लेकर आजतक पत्रकारिता में कई नये आयाम जुड़े। यह देशकाल, वातावरण, सामाजिक, राजनीतिक…
माॅं शब्द ही अतुलनीय है : अरुण दिव्यांश
मां शब्द ही अतुलनीय है : अरुण दिव्यांश मां शब्द तो एकवर्णीय शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘माता’। मां शब्द वास्तव में एक असाधारण शब्द है, जो रिश्तों का…
सोन-तट का उस्ताद शायर : नासेह नासरीगंजवी
सोन-तट का उस्ताद शायर : नासेह नासरीगंजवी यह 1994-95 की बात है। जब मैं बक्सर की गलियों में कविता की आवारगी में घूमा करता था। वह उर्दू के तरही मुशायरों…
अक्क महादेवी: द्राविड़ भक्ति की साहस-साधना
बहुत दिनों के बाद भक्ति आन्दोलन पर ताजगी लेकर एक किताब आयी है, ‘अक्क महादेवी’। सुभाष राय की इस किताब ने आने के साथ ही गंभीर लोकप्रियता अर्जित की है…
चुनावी हास्य यात्रा : ईवीएम का धक्का!
चुनावी हास्य यात्रा : ईवीएम का धक्का! शाम का समय था! कुर्सी पर बैठा आलोक किसी की राह देख रहा था, ऐसे उसके चेहरे से लग रहा था।…
‘साझे का संसार’ : बहुजन समझ का संसार
कुमार बिन्दु का पहला काव्य-संग्रह है ‘साझे का संसार’। हालाँकि वे अस्सी के दशक से कविताएँ लिख रहे हैं और उम्र के सातवें दशक में रचनारत हैं। उनकी बुनियादी बनावट…
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय
विवेकानन्द के जयंती पर लेखक प्रेमकुमार मणि के आपने विचार विवेकानंद ( 12 जनवरी 1863 – 4 जुलाई 1902 ) के प्रति मैंने हमेशा एक जिज्ञासु भाव रखा है। जब…
पुस्तक समीक्षाः घिस रहा है धान का कटोरा
“घिस रहा है धान का कटोरा” लक्ष्मीकांत मुकुल का सद्य प्रकाशित काव्य संकलन है। इसमें छोटी- बड़ी पचहतर कविताएँ संग्रहित हैं, अंतिम कविता भोजपुरी भाषा में है। पुस्तक का नाम…
पुस्तक समीक्षाः यात्रियों के नजरिए में शाहाबाद
लक्ष्मीकांत मुकुल की नई किताब ‘‘यात्रियों के नजरिये में शाहाबाद‘‘ ग्रामीण परिवेश में रची-बुनी गई ग्रामीण इतिहास पर आधारित एक प्रमाणिक पुस्तक है। हिन्दी और भोजपुरी भाषा-साहित्य के लिए समर्पित…