धान परती भूमि प्रबंधन पर प्रक्षेत्र दिवस-सह- कृषक-वैज्ञानिक वार्ता

पटना-कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर,पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास के नेतृत्व में पूर्वी भारत के धान-परती क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से परिचित कराना और उनके उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। इस संबंध में शनिवार को गया जिले के टेकारी प्रखंड के गुलेरियाचक गांव में धान-परती भूमि प्रबंधन पर आधारित दलहनी और तिलहनी फसलों का प्रक्षेत्र दिवस-सह-कृषक वैज्ञानिक वार्ता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से परिचित कराया और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। किसानों को मिट्टी की नमी बनाए रखने और दलहन तथा तिलहन जैसी फसलों के सफल उत्पादन के तरीकों के बारे में डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक की टीम द्वारा बताया गया। किसानों को सही सिंचाई प्रबंधन, भूमि संरक्षण उपायों और आधुनिक कृषि विधियों की जानकारी दी।इस कार्यक्रम में लगभग 100 एकड़ भूमि पर चना, मसूर और सरसों जैसी दलहनी और तिलहनी फसलों पर अनुसंधान कार्य चलाया जा रहा है, जो शून्य जुताई विधि (फसल अवशेष प्रबंधन) तकनीक के तहत किया जा रहा है।

मौके पर डॉ. मनोज कुमार राय, वरीय वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर, डॉ. सुधांशु शेखर, प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ़ तथा वैज्ञानिक डॉ. वेद प्रकाश समेत अन्य विशेषज्ञों ने किसानों को भूमि में नमी प्रबंधन, भूमि संरक्षण उपाय और धान-परती भूमि प्रबंधन के आधुनिक तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से उर्वरक प्रबंधन पर जोर देते हुए एनपीके (19:19:19), 2% यूरिया स्प्रे और डीएपी स्प्रे घोल का पत्तियों पर छिड़काव के महत्व को किसानों को बताया और पत्तियों पर छिड़काव करने की सलाह दी, जिससे फसलों का पोषण बेहतर होता है और उपज में वृद्धि होती है। इस तकनीक से दलहनी और तिलहनी फसलों का विकास तेजी से होता है, फूलों और फलों की गुणवत्ता में सुधार आती है और अंततः उत्पादन में वृद्धि होती है।
इस कार्यक्रम में कुल 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया और कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर, गया ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। यह कार्यक्रम किसानों को उन्नत कृषि विधियों से अवगत कराकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
विदित हो कि इस कार्यक्रम का आयोजन धान-परती भूमि पर चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतर्गत किया गया था, जिसका समन्वय आयोजन सचिव डॉ. राकेश कुमार कर रहे हैं।

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