

पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। हर लेखन के पीछे अपना एक अलग उद्देश्य होता है। किसी भी लेखक को बिना उद्देश्य अपनी रचनाओं का सृजन नहीं करना चाहिए। सिर्फ प्रकाशन का सुख,रचना का उद्देश्य कदापि नहीं हो सकता। क्योंकि ऐसी रचनाएं सामाजिक या पारिवारिक या स्वयं अपने लिए भी उपयोगी नहीं होती। साथ ही साथ लघुकथा को अनावश्यक विस्तार देने से भी लेखक को बचना चाहिए।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, यूट्यूब के चैनल पर, हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया। उन्होंने छोटी-छोटी इन गोष्ठीयों को पाठशाला करार देते हुए कहा कि हम इन पाठशाला से लेखक का निर्माण नहीं कर सकते बल्कि उनकी सृजनात्मकता का संवर्धन कर सकते हैं। एक दूसरे को सिखला सकते हैं और सीख सकते हैं l सोशल मीडिया इस मायने से बहुत उपयोगी माध्यम है। फेसबुक और यूट्यूब के माध्यम से हम ऐसी पाठशाला चलाते रहेंगे।
हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन में ऑनलाइन लाइव वीडियो के माध्यम से योगेंद्र नाथ शुक्ल की राजनीति “एकलव्य केसरी की वसंती”, ऋचा वर्मा की “निशाना”, वंदना सहाय की “सन्नाटा”, नरेंद्र कौर छाबड़ा की “प्रकृति से सबक”, पूनम कतरियार की “अंधी दौड़”, सिद्धेश्वर की “बूढ़ा होना पाप तो नहीं”, शीर्षक लघुकथाओं की वीडियो प्रस्तुति दी गई। अपनी अध्यक्षीय संबोधन में सिद्धेश्वर ने कहा कि लघुकथा में अनावश्यक बिस्तार से बचना चाहिए। लघुकथा लिखने में जल्दीबाज़ी न करें। लघुकथा में चरित्र- चित्रण और विवरण से बचे और कम शब्दों में अधिक कहना अर्थात “देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर ” वाली बात होनी चाहिए।
प्रस्तुति: बीना गुप्ता , जनसंपर्क पदाधिकारी, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, (मोबाइल दृ923 4760365)Email : beenagupta@gmail.com