कोरोना संकट : पृथ्वी का ऐतिहासिक सर्वव्यापी भय / दो कविताएं : नदी और ध्वनि विलाप

यह अपूर्व संकट कि हर आदमी है दूसरे से डरा हुआ
0- कृष्ण किसलय -0
(समूह संपादक, सोनमाटी मीडिया समूह)

पृथ्वी इस समय मानवीय स्मृति के उस अभूतपूर्व ऐतिहासिक अवधि से गुजर रही है, जिसमें हर शख्स दूसरे शख्स से डरा हुआ है। एक आदमी का दूसरे आदमी से डरते हुए दूर रहना एकदम नया अनुभव और नई चीज है, जिसका असर अवचेतन पर पडऩा स्वाभाविक है। अभूतपूर्व सामूहिक अकेलापन ने सबको बेचैन बना दिया है। हालांकि नौकरीशुदा संतान वाले सीनियर सिटिजन, गंभीर बीमारी के बाद हास्पिटल या घर में मरीज, अचानक बेरोजगार हो जाने आदि से पैदा हुए अकेलेपन का अनुभव आदमी को रहा है, मगर लाकडाउन से समाज के व्यवहार में आए बदलाव ने व्यक्ति के दैनिक जीवन को बेहद मुश्किल बना दिया है। इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी के सर्वेक्षण के मुताबिक, एक सप्ताह में मानसिक रोगों की संख्या में अचानक 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मोबाइल फोन, इंटरनेट की वर्चुअल दुनिया और सोशल मीडिया की आसान उपलब्धता से भी राहत नहीं मिल पा रही है। लाकडाउन से पैदा हुई आर्थिक परेशानी, खाने-पीने की चीजों की किल्लत, रोजगार पर खतरा आदि ने मनोवैज्ञानिक तौर पर वास्तविक दुनिया की अहमियत का अहसास कराया है। प्रधानमंत्री के दो बार के आह्वान पर पहले 22 मार्च को घर-घर में ताली-थाली बजाने का और फिर 9 अप्रैल को हर घर में नौ मिनट का अंधेरा कर द्वार पर दीया जलाने का उपक्रम भारत की विशाल आबादी की मानसिक दुर्बलता दूर करने की सामूहिक हौसलाअफजाई थी। दोनों मौकों पर अदृश्य दुश्मन (कोविड-19) से सहमे 135 करोड़ के इस विशाल देश ने अपनी प्रचंड एकजुटता का प्रदर्शन किया। हम रौशन-ए-उम्मीद हैं कि भारत इस अदृश्य दुश्मन से जंग में लाकडाउन अर्थात पूर्णबंदी के जरिये जीतेगा।


जरूरत कड़े आत्मानुशासन का
भारत में लाकडाउन के 13 दिन गुजरने के बाद यह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण होगा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप संक्रमण स्थिर रहता है या नहीं? देश में 5.5 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हैं, 170 से अधिक की मौत हुई है, मगर करीब 500 लोग ठीक भी हुए हैं। बिहार के लिए राहत है कि बाहर से राज्य में आए एक कोरोना मरीज की मौत हुई, 38 ही कोरोना पाजिटिव पाए गए और 15 ठीक भी हुए। हालांकि संदिग्ध मरीजों की जांच की रफ्तार धीमी है और संदिग्धों की संख्या अधिक। भारत सरकार के शीर्ष सरकारी आंकड़ा विश्लेषक प्रयोगशाला ने अनुमान व्यक्त किया है कि देश में कोरोना वायरस का अंतिम चरण नौ मई से शुरू हो सकता है। तब तक गर्मी भी परवान पर होगी। जिस सरकारी पैनल ने यह अनुमान लगाया है, वह जरूरी चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और महामारी रोकने में जुटी एजेंसियों के लिए दिशा-निर्देश जारी करती है। देश में कोरोना का संक्रमण संभवत: स्थिर होने की ओर था कि दिल्ली के तबलीगी जमात ने कई राज्यों में इसका दुष्प्रभाव बढ़ा दिया। फिर भी सरकारी अधिकारी बताते हैं कि देश में कोरोना वायरस की महामारी बेकाबू नहीं है और 21 दिनों के लाकडाउन में इसके थम जाने की संभावना है। इसलिए यह जरूरी है कि भारतवासी, बिहारवासी अभी सोशल डिस्टेन्स के आत्मानुशासन का कड़ाई से पालन करें।
(कृष्ण किसलय, सोनमाटी प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, डालमियानगर-821305, बिहार ph.- 9708778136)

दो कविताएं : कुमार बिन्दु की ‘नदी’ और नंदमोहन मिश्र की ‘ध्वनि विलाप’

नदी / कुमार बिन्दु

प्रेम में आकुल-व्याकुल
हहर-हहर करती बहती किसी नदी में
बच्चों की कागज की कश्ती बहाने से
न तो उसकी दशा बदलती है न दिशा
दिवंगत प्रियजनों की हाड़-मांस की राख
नदी के जल में प्रवाहित करने से भी
नदी की सेहत पर बहुत फर्क नहीं पड़ता
क्योंकि कागज की कश्ती में
दिवंगतों के अस्थि-कलश में
प्रेम के अमृत-बीज भरे होते हैं
नदियों में तैरती नाव में जब प्रेमी युगल नहीं
घृणा के विष-बीज लिए
राजसत्ता और धर्मसत्ता के सौदागर सवार होते हैं
तब नदी की देह कांपने लगती है
आकाश से रात में नदी के नाभि प्रदेश में उतरा चांद
प्रेम के गीत गुनगुनाता हसीन चांद
भय से थर्राने लगता है
नदी की कोख में प्रेम-बीज के बजाए
घृणा का बिष-बीज पलने लगता है
वह शनै:-शनै: जब पहाड़ बन जाता है
तब नदी की दशा-दिशा ही नहीं
उसकी तकदीर भी बदल जाती है
और, नाला बन जाती है एक पवित्र नदी।

पाली, डेहरी-आन-सोन,
जिला रोहतास (बिहार)

9939388474

ध्वनि विलाप / नंदमोहन मिश्र

ये ध्वनि विलाप किसकी है, है कौन वहां क्रंदन करता?
शून्य प्रांत के महा मौन को, किसका यह शोक राग भंजन करता
?

संताप ध्वनि यह सृष्टि की क्या तांडव नृत्य करेगी
अग्निवर्षा या अप्लावन जैसा कुकृत्य करेगी
?

बुद्धि कहती स्वान शोक यह बहुत बड़ा पातक है,
गलित कुष्ठ यह लिप्सा की, मनुज के लिए बड़ा घातक है।

अश्रुधार ये प्रकृति की, क्या प्रलय का वरण करेगी
या फिर कोई जैविक संहार सभ्यता का हरण करेगी?

उस तिमिर प्रांत में मृत्युगान का कौन श्रवण करता है,
वायस श्रृंगाल के साथ मरघट में कौन भ्रमण करता है?

प्रतिशोध निनादित वसुधा क्या मानवता का ग्रिव गहेगी,
शोषित, व्यथित जननी निज मर्दन का कब तक शोक सहेगी?

सचिव, साहित्य कला परिषद
अरवल (बिहार)

73248 30843

  • Related Posts

    बाबा नागार्जुन स्मृति सम्मान से नवाजे गए कवि कुमार बिंदु

    डेहरी-आन-सोन  (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के पटना में हुए 106 वें स्थापना दिवस समारोह एवं 43 वें महाधिवेशन में रोहतास जिले के वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात कवि…

    विश्व खाद्य दिवस पर डॉ.आशुतोष उपाध्याय की कविता

    डॉ.आशुतोष उपाध्याय की कविता : बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार   (1) आओ मित्रों! 16अक्टूबर 2024 को, विश्व खाद्य दिवस कुछ इस प्रकार मनायें भोजन…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण