सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
समाचारसोन अंचल

दाउदनगर (औरंगाबाद) के 07 पार्षदों को दुबारा मौका

दाउदनगर (औरंगाबाद)-उपेन्द्र कश्यप।  दाउदनगर नगर परिषद के चुनाव परिणाम के अनुसार, नगर परिषद के पिछले बोर्ड में सदस्य रहे छह और इसके पूर्व के एक सदस्य को जनता ने नगर परिषद के इस बार भी बोर्ड में नेतृत्व का अवसर दिया है। बाकी के 20 चेहरे नए हैं। जनता ने सात सदस्यों को आजमाया हुआ है और अब नए 20 सदस्यों को आजमाएगी। पिछले नगर परिषद के सदन में सदस्य रहे जागेश्वरी देवी, शकीला बानो, बसंत कुमार, हसीना खातून कौशलेंद्र कुमार सिंह और पुष्पा कुमारी को दुबारा मौका मिला। सुशीला देवी पिछले के पहले वाले बोर्ड में सदस्य रही थीं।
जारी परिणाम की सूची
वार्ड 1 से जागेश्वरी देवी, 2 से सीमन कुमारी, 3 से तारीक अनवर, 4 से शकीला बानो, 5 से बसंत कुमार, 6 से सुहैल राजा उर्फ सुहैल अंसारी, 7 से राजू राम, 8 से हसीना खातून, 9 से सुमित्रा साव, 10 से कांति देवी, 11 से प्रमोद कुमार सिंह, 12 से मीनू सिंह, 13 से दीपा कुमारी, 14 से सुशीला देवी, 15 से ममता देवी, 16 से ललिता देवी, 17 से लिलावती देवी, 18 से सोनी देवी, 19 से पुनम देवी, 20 से रीना देवी उर्फ रीमा देवी, 21 से दिनेश प्रसाद, 22 से नंदकिशोर चौधरी, 23 से सीमा देवी, 24 से कौशलेन्द्र कुमार, 25 से पुष्पा कुमारी, 26 से इंदु देवी व वार्ड संख्या 27 से सतीश कुमार विजयी रहे हैं।
पांच मत से हारे वार्ड तीन के रघुवर प्रसाद चौधरी
आरओ राहुल कुमार के अनुसार सबसे कम पांच मत से वार्ड संख्या तीन में रघुवर प्रसाद चौधरी हारे हैं। जबकि वार्ड संख्या 06 में जीत हार का अंतर काफी ज्यादा रहा। यहाँ सुहैल राजा को 563 और दूसरे स्थान पर रहे विनोद कुमार को मात्र 192 मत प्राप्त हुए हैं।
पति-पत्नी और माँ-पुत्र जीते
पिछले नप बोर्ड में उपमुख्य पार्षद रहे कौशलेंद्र सिंह और उनकी पत्नी मीनू सिंह चुनाव जीत गए हैं। वहीं पूर्व में पार्षद रहीं शकीला बानो और उनके पुत्र तारिक अनवर भी चुनाव जीत गए। बाकी कई लोगों ने दूरगामी राजनीति को देखते हुए परिवार के कई कई सदस्य चुनावी अखाड़े में खड़े थे, किन्तु सबको असफलता मिली।
अब हार-जीत की कई तरह की समीक्षा-चर्चा
नगर परिषद चुनाव में हार-जीत के कारणों की अब चर्चा हो रही है। सभी अपने तरीके से चर्चा, समीक्षा और विश्लेषण कर रहे हैं। जातिवाद, धनबल, बाहुबल की भी चर्चा है। कहीं यह हारा तो कहीं यह जीता। किसी के व्यक्तिगत व्यवहार, संवेदना और सहानुभूति नकारात्मक ताकतों पर भारी पड़ी। लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि किस कारण किसने धोखा दिया। कहीं कहीं तो धोखे की वजह भी साफ नहीं हो पा रही है।
 (साथ में दाउदनगर से बसंत कुमार)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!