डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कार्यालय प्रतिनिधि। पित्त की थैली (नली) से नई चिकित्सा तकनीक के जरिये चीर-फाड़ वाला आपरेशन किए बिना पेट के भीतर से पथरी निकाली गई। बिहार के सोन अंचल के रोहतास, औरंगाबाद जिलों और पाश्र्ववर्ती क्षेत्रों में इलाज के लिए ईआरसीपी विधि का उपयोग स्थानीय जमुहार स्थित एनएमसीएच (नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल) में पहली बार किया जा रहा है। इस विधि में आपरेशन करने की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के बजाय इंडोस्कोपिक आपरेशन का इस्तेमाल किया जाता है।
एनएमसीएच के गैस्ट्रोलाजी विभाग के प्रभारी अध्यक्ष डा.आसिफ इकबाल ने बताया कि कोई 70 वर्षीय मरीज केदारनाथ सिंह को लंबे से पेट में दर्द और उल्टी की शिकायत थी। वह एनएमसीएच में दिखाने आए तो उनकी इंडोस्कोपी अल्ट्रासोनोग्राफी की गई, जिसमें पता चला कि उनकी पीत्त की थैली (नली) में पथरी जमा है। ईआरसीपी विधि से उनका इंडोस्कोपी आपरेशन किया गया। इस पद्धति में छुरी लगाकर आपरेशन नहींहोता है। इंडोस्कोपी आपरेशन के बाद मरीज अब पूरी तरह ठीक हैं। डा. इकबाल के अनुसार, लीवर, पीत्त आदि की इस तरह की गंभीर चिकित्सकीय समस्याओं में यह विधि काफी कारगर है।
कटार सदाफल आश्रम में रक्तदान शिविर का आयोजन
एक अन्य समाचार के अनुसार, डेहरी-आन-सोन के निकटवर्ती कटार गांव में सद्गुरू सदाफल आश्रम में विहंगम योग संत समाज की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन एनएमसीएच की पैथोलाजी टीम के सहयोग से किया गया, जिसमें 50 यूनिट रक्तदान हुआ। विहंगम योग संत समाज की ओर से हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। इस बार यह आयोजन संत विज्ञानदेव की 40वींजयंती के अवसर पर किया गया।
इस अवसर पर बिहार राज्य विहंगम योग संत समाज के प्रदेश अध्यक्ष परमानंद सिंह, महामंत्री डीएन सिंह, मंत्री रामचंद्र तिवारी, यज्ञ मंत्री ददन सिंह, रोहतास जिला विहंगम योग संत समाज के संयोजक सुभाषरंजन सिंह, कोषाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद सर्राफ, डेहरी प्रखंड प्रभारी भृगुनाथ सिंह, कटार सदाफल आश्रम के प्रभारी विजयबहादुर सिंह, चैनल प्रभारी संतोष कुमार गुप्ता, उपदेष्टा अनूप राउत एवं कांति देवी के साथ सैकड़ों की संख्या में गुरुभाई, रक्तदान दाता और अन्य लोग उपस्थित थे।
(रिपोर्ट व तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, एनएमसीएच)