नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने पेश किया ब्रह्मांड की खोज पर आधारित कृष्ण किसलय की कृति सुनो मैं समय हूं
पुस्तक समीक्षा : सुनो मैं समय हूं
समीक्षक : कल्याण कुमार सिन्हा, संपादक
विदर्भआपलाडाटकाम (नागपुर, महाराष्ट्र)
(साथ में इनपुट, तस्वीर : उपेंद्र कश्यप, निशांत राज)
बिहार राज्य में आंचलिक पत्रकारिता के ध्वज-धारक कृष्ण किसलय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित पहचान बन चुके हैं। संप्रति वे रोहतास जिले के सोन नद तट के नगर डेहरी-आन-सोन के अग्रणी समाचार-विचार पत्र सोनमाटी और ग्लोबल न्यूज-व्यूज वेबपोर्टल सोनमाटीडाटकाम के समूह संपादक हैं। अपनी लेखकीय प्रतिभा और निरपेक्ष विचार संप्रेषण के लिए कृष्ण किसलय अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं।
ब्रह्मांड पर वैज्ञानिक खोजों और नूतन-पुरातन ज्ञान आधारित शोधपूर्ण सद्य प्रकाशित उनकी कृति ‘सुनो मैं समय हूंÓ इन दिनों चर्चा का विषय है। अपनी विषय-वस्तु पर वैज्ञानिक संकल्पनाओं, खोजपरक प्रामाणिक जानकारी के साथ खगोल, भूगोल, भौतिकी, जीव विज्ञान, नृविज्ञान, पुराविज्ञान पर आधारित इस पुस्तक की रचना उन्होंने किशोर विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि जगाने और अभिरुचि को बनाए रखने के उद्देश्य से की है। अपने इस उद्देश्य में वे सफल भी रहे हैं।
12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के साथ सभी वर्ग के पाठक भी इसमें गहरी रुचि प्रदर्शित कर रहे हैं। पुस्तक का प्रकाशन भारत सरकार की देश की सबसे बड़ी प्रतिष्ठित स्वशासी प्रकाशक संस्था नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीटी) ने किया है। आदमी हजारों सालों से अपने भूमंडल, खगोल और जीवन के प्रति जिज्ञासु रहा है। ऐसी विषय-वस्तु पर आधारित पुस्तकें हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं। संभवत: नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया भी इस विषय पर पुस्तक पहले प्रकाशित कर चुका है। इसके बावजूद दुबारा ऐसे ही विषय पर एनबीटी ने कृष्ण किसलय की इस कृति का प्रकाशन कर इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि यह पुस्तक अधिक प्रामाणिक और विज्ञान-दृष्टि संपन्न है। इसमें 21वीं सदी में प्रकाश में आए अद्यतन वैज्ञानिक तथ्यों को भी पिरोया गया है।
ब्रह्मांड कब पैदा हुआ? कहां फैल रहा है यह? इसके विस्तार का अंत कब होगा? ईश्वर ने सृष्टि बनाई तो फिर ईश्वर को किसने बनाया? नियम से विकसित हुए ब्रह्मांड में ईश्वर का क्या काम? जीवन पृथ्वी पर पनपा या आकाश से टपका? क्या एलियन है आदमी? सभी जीवों में एक ही जैव पदार्थ तो पृथ्वी पर आदमी का ही एकछत्र राज्य क्यों? इन प्रश्नों का प्रमाणिक उत्तर किशोर मन को देने की कोशिश है यह पुस्तक। इसके लिए दर्जनों चित्र कोलकाता के प्रतिष्ठित चित्रकार कला स्नातक अरूप गुप्ता ने बनाकर इसे अधिक रुचिकर और जिज्ञासु बना दिया है।
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प्रतिष्ठितों की प्रतिक्रिया
पुस्तक अत्यंत ज्ञानवद्र्धक है। – डा. अतुल कृष्ण, संस्थापक सुभारती विश्वविद्यालय और सुभारती मीडिया लिमिटेड (मेरठ)
बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं किसलयजी। – कल्याण कुमार सिन्हा, वरिष्ठ संपादक, नागपुर (महाराष्ट्र)
पुस्तक में बहुत अच्छी जानकारी दी गई है। -पवन गौड़, पुरातत्व विज्ञान अध्यापक ( मध्य प्रदेश )
बिहार के रोहतास जिला के इतिहास पर शोध पुस्तक लिख चुके डा. श्यामसुन्दर तिवारी ने कहा है, ऐसे पुस्तक का प्रकाशन गौरव की बात है। देश में प्रकाशन विभाग के बाद एनबीटी सबसे बड़ा प्रकाशक है। इस अद्र्धसरकारी संस्थान से किताब छपना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
काव्य संग्रह ‘आवाज भी देह हैÓ के कवि-लेखक संजय कुमार शांडिल्य का कहना है कि एनबीटी राष्ट्रीय महत्व की उपयोगी प्रमाणिक पुस्तकों को कम मूल्य पर देश भर के पाठकों तक पहुंचाने का कार्य करता है। यहां से प्रकाशित होना लेखक के लिए गौरव का भी विषय है।
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एनबीटी से प्रकाशन रोहतास, औरंगाबाद के लिए बड़ी उपलब्धि
दैनिक भास्कर में उपेन्द्र कश्यप (डेहरी-आन-सोन)। देश के सबसे बड़े प्रकाशक नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी), इंडिया ने डेहरी-आन-सोन के कृष्ण किसलय की पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूंÓ को प्रकाशित किया है। यह सिर्फ रोहतास ही नहीं बल्कि एक बड़े इलाके (सोन नद अंचल) के लिए इस सन्दर्भ में उपलब्धि है कि इस प्रकाशक द्वारा संबंधित विषय-वस्तु पर किसी दूसरे लेखक की लिखी किताब का प्रकाशन नहीं हुआ है। जिले के दूसरे कई लेखकों की किताबों का प्रकाशन दूसरे प्रकाशकों द्वारा तो किया गया है, मगर यह बड़े गौरव की बात है कि किसी छोटे शहर के लेखक की कोई किताब एनबीटी प्रकाशित करे।
रोहतास जिले के इतिहास पर शोध-पुस्तक लिख चुके डा. श्यामसुन्दर तिवारी ने इस संबंध में कहा कि यह गौरव की बात है। जिले में रह रहे या कार्यरत किसी दूसरे लेखक को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है। देश में प्रकाशन विभाग के बाद यह सबसे बड़ा प्रकाशक है और अद्र्ध सरकारी है। इसके द्वारा प्रकाशन काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह किताब (सुनो मैं समय हूं) जिले के मान को विविध भाषा बोलने वालों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का काम करेगी। पुस्तक 12-14 आयु वर्ग के किशोरवय के लिए लिखी गयी है। इसके 184 पृष्ठों में दो खंड हैं- ब्रह्मांड और जीवन। लेखक कृष्ण किसलय का दावा है कि हिन्दी में वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाली ऐसी कोई दूसरी किताब नहीं है। लेखक और प्रकाशक के बीच हुए एग्रीमेंट के मुताबिक, किताब अभी हिन्दी में प्रकाशित हुई है। अनुबंध हिंदी के साथ अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी हुआ है।
यह किताब ब्रहांड और जीवन के उद्भव-विकास और इसके अस्तित्व-विस्तार से संबंधित प्रश्नों का सटीक और विज्ञान-प्रमाणित उत्तर किशोर मन को देने का शोधपूर्ण प्रयास है। अब इसमें लेखक को सफलता कितनी मिलेगी? यह वक्त तय करेगा। इस किताब के लिए दर्जनों चित्र कोलकाता के कला स्नातक अरूप गुप्ता ने बनाया है।
ऐसी रही प्रकाशन-यात्रा
लेखक कृष्ण किसलय ने बताया कि एनबीटी (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) का चयन सबसे बड़ा प्रकाशन क्षेत्र होने के कारण किया। 09.09.2016 को पांडुलिपि प्रकाशक एनबीटी के तब के अध्यक्ष (संपादक प्रोफेसर बल्देव भाई शर्मा) के पद-नाम से डाक से भेजी गई। प्रक्रिया के तहत चयन हुआ। 09 मार्च 2017 को प्रकाशन के लिए स्वीकृति (हिंदी संपादक पंकज चतुर्वेदी की ओर से) मिली। ट्रस्ट की निदेशक सह मुख्य संपादक नीरा जैन के साथ एग्रीमेंट 28 अप्रैल 2017 को किया गया। इसके बाद फरवरी 2019 में किताब प्रकाशित हुई। एग्रीमेंट के मुताबिक, हिंदी प्रकाशन पर 6 फीसदी और अन्य भाषाओं में 4 फीसदी रायल्टी मिलेगी।
छूट गए अंश का प्रकाशन है अब लक्ष्य
लेखक (कृष्ण किसलय) ने बताया कि प्रकाशित किताब में कई हिस्से शामिल नहीं हो सके हैं। पृष्ठ संख्या की सीमा के कारण अंतिम चरण में उन्हें हटाना पड़ा था। अब लक्ष्य छूटे हुए खंड का प्रकाशन कराना है। वह पहले एनबीटी से ही आग्रह करेंगे। चूंकि पांडुलिपि वहीं स्वीकृत है, इसलिए वह ही अलग खंड में इसका प्रकाशन करे, यदि कोई कानूनी पेंच नहीं हो तो। ताकि बच्चों को विज्ञान से जुड़ी सारी जानकारी एक साथ मिल सके। कहा कि लोग सीखें सवाल करना और सवाल का जवाब तलाशना। यही मूल मकसद किताब लिखने का है।
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पुस्तक : सुनो मैं समय हूं
पृष्ठ : 184, कीमत : 105 रुपये
लेखक : कृष्ण किसलय, 9708778136, 9523154607
प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (नई दिल्ली)
www.nbtindia.gov.in
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कृष्ण किसलय की अन्य प्रकाशित पुस्तकेें
1. समाज ने क्या दिया (20वींसदी के आठवें दशक का बहुचर्चित सामाजिक नाटक। सामाजिक समस्या दहेज के कारण नाटक की कथावस्तु अब भी प्रासंगिक। यह समस्या आज बिहार सरकार की चिंता का विषय है।)
2. पहचान (पुस्तक संपादक माधव नागदा, राजस्थान) में लघुकथा पहला उपदेश संकलित। टाइम्स इंडिया समूह की पत्रिका सारिका में प्रकाशित इस लघुकथा को अखिल भारतीय प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त।
3. हिंदी पत्रकारिता : विधाएं और आयाम (पुस्तक संपादक अमरेंद्र कुमार) में हिंदी विज्ञान पत्रकारिता पर शोध आलेख। यह पुस्तक बिहार के दो विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता विभाग में संदर्भ ग्रंथ के रूप में अनुशंसित।
प्रकाशनाधीन, पांडुलिपि कार्यपूर्ण, अप्रकाशित और लेखनाधीन पुस्तकेें :
1. हेलो जिंदगी तुम कहां हो : पृथ्वी से दूर दूसरे ग्रहों पर जीवन की वैज्ञानिक खोजों और अगली सादियों में आदमी की जीवनशैली को रेखांकित करने वाली विज्ञान पुस्तक।
2. कहीं देर न हो जाए (संकट में पृथ्वी, खतरे में जीवन) : पर्यावरण, विज्ञान से संबंधित विषयों पर दैनिक प्रभात (मेरठ, लखनऊ) में अपने साप्ताहिक स्तंभ (प्रतिबिंब) में और दैनिक जागरण (देहरादून, दिल्ली), उमर उजाला (वाराणसी) में बतौर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित लेखों का पुस्तक रूप में संग्रह।
3. सूरज दादा चंदा मामा धरती मां मंगल भाई : तारा सूर्य और सौरमंडल के पृथ्वी, मंगल सहित आठ ग्रहों और चंद्रमा सहित अन्य उपग्रहों के बारे में वैज्ञानिकों खोजों की अपटुडेट कहानी। इनके बारे में संदर्भवश वैदिक, पौराणिक काल के ज्ञान के साथ पारंपरिक सांस्कृतिक जानकारी भी।
4. तिल-तिल मरने की दास्तां : एशिया प्रसिद्ध रहे बिहार के डालमियानगर कारखानों के हड़प्पा-मोहनजोदड़ो जैसा श्मशान नगर बनने की मार्मिक-प्रमाणिक कहानी। सोनमाटी के विशेषांक में प्रकाशित, अब पुस्तक रूप में प्रकाशन की योजना।
5. ब्रिटिश राज के प्रथम विद्रोही : कुंवर सिंह से भी बहुत पहले 18वीं सदी में अंग्रेजी हुकूमत से के आरंभ में ही विद्रोह करने वाले बिहार के औरंगाबाद जिले के पवईगढ़ के राजा नारायण सिंह की खोजपूर्ण इतिहास कथा। सोनमाटी के विशेषांक में प्रकाशित। (पुस्तकाकार प्रकाशन की योजना)।
6. आवाज गूंज उठी : धर्म और राजनीति की आड़ में समाज को दीमक की तरह खाने वाले कुत्सित चेहरों को बेनकाब करने वाला राष्ट्रीयता की पृष्ठभूमि पर गढ़ा गया 20वींसदी का रंगमंचीय नाटक।
7. धरती का शैतान : औपन्यासिक बाल विज्ञान कथा।
8. लाली : 20वींसदी के आखिरी दो दशकों में आकाशवाणी, पटना से प्रसारित भोजपुरी कहानियों, वार्ताओं और संभवत: भोजपुरी में प्रथम विज्ञान लेख का पुस्तक रूप में संग्रह।
9. सुनो-सुनो एक पुरानी कहानी (अंडमान की रानी सोन राजा सिंधु दीवानी) : अंडमान के जंगलों से बाहर आकर आदमी के कैमूर की गुफाओं में शरण लेने और गुफा से बाहर निकलकर सोन नद की घाटी में परिवार (समूह) बनाकर सभ्यता की प्रथम नींव रखने और सभ्यता यात्रा के दुनिया के सबसे पुराने पड़ाव सिंधु घाटी तक पहुंचने की वैज्ञानिक तथ्यों, ऐतिहासिक-सांस्कृतिक साक्ष्यों और वैदिक-पौराणिक आख्यानों के ज्ञान-तत्व पर आधारित शोध-खोजपूर्ण इतिहास कथा।
10. समय लिखेगा इतिहास : किशोर उम्र से जीवन-यात्रा और लेखन-पत्रकारिता के सफर में संघर्ष और सफलता-विफलता का आत्मकथात्कम लेखा-जोखा।