औरंगाबाद (बिहार)-सोनमाटी समाचार। ‘औरंगाबाद फिल्म फेस्टिवलÓ में बिहार, उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश की प्रदर्शित लघु, फीचर, डाक्युमेन्ट्री व मोबाइल फिल्मों में ‘वीराÓ किन्नर समुदाय की हजारों सालों से चली आ रही भारतीय समाज में दुर्दशा पर तीखे सवाल के रूप में मौजूद थी। इस डाक्युमेन्ट्री फिल्म की पात्र वीरा यादव ने समारोह में उपस्थित होकर अपने जीवन-संघर्ष का अत्यंत मार्मिक बयान किया। बिहार की एमए (समाजशास्त्र, पटना विश्वविद्यालय) की इस पहली किन्नर विद्यार्थी ने बताया कि वह प्रताडऩा के कारण परिवार से अलग की गईं और किन्नर समुदाय का हिस्सा बनने के बाद नाच-गाकर बधाई देने और रेल डिब्बों में भीक्षाटन करने का कार्य किया।
भीख के बाजार में बधाई देने की चीज बना दी गई मैं
वीरा यादव ने अपने भीतर के दशकों से दबे दर्द को सार्वजनिक तौर पर इन मार्मिक शब्दों में बयान किया। कि, मैं आंख में काजल और होठ पर लिपिस्टिक इसलिए लगाती हूँ कि सामने वाला मेरा दर्द न देख सके। कॉलेज से निकलती हूँ तो लोग भद्दी, पीड़ादायक टिप्पणियां करते हैं, इसलिए मैं कान में इयरफोन लगाकर लेती हूं ताकि मैं उन टिप्पणियों को सुन न सकंू या कोई नहींं भी सुन रही होती हूं तब भी इयरफोन लगाए रहती हूं कि मैं टिप्पणी नहींसुन रही। किन्नर समुदाय को सहानुभूति नही, प्यार भरा साथ चाहिए। सोचिए कि अपने ही घर ने ठुकरा दिया, एक तरह से बलि चढ़ा दी। मुझे दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर कर दिया गया और मैं बधाई देने की चीज के रूप में भींख के बाजार का हिस्सा बना दी गई। देश में जीने का सबको समान अवसर होने के बावजूद समाज के ताने मिलते हैं और इस व्यवस्था में जीने के लिए कानूनी संघर्ष करना पड़ता है।
अब बड़ा बाजार व अवसर दोनों उपलब्ध
उद्घाटन सत्र की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित-पुरस्कृत डाक्युमेंट्री फिल्म ‘द रिर्टन आफ जगदीशचंद्र बसुÓ से हुई और अंतिम दिन बिहार की किन्नर वीरा यादव पर बनी डाक्युमेंट्री फिल्म से समारोह का समापन हुआ। प्रथम सत्र में भोजपुरी फिल्मों के वरिष्ठ लेखक-निर्देशक चंद्रभूषण मणि और वरिष्ठ नाटककार-कलाकार कृष्ण किसलय (सोनमाटी संपादक) ने कहा कि भारतीय फिल्म जगत अब नई सदी में नए अवतार में है। इस क्षेत्र को करियर के रूप में अपनाने वालों के लिए बड़ा बाजार व अवसर दोनों उपलब्ध हैं, जिसमें सफल होने के लिए कला-तकनीक व अभिव्यक्ति की अन्य विधाओं की तरह कल्पनाशील मेधा, सघन श्रम व निरंरतता-मौलिकता की जरूरत है।
अपनी फिल्म के गीत की पंक्तियां सुनाईं
अपने संबोधन में चर्चित भोजपुरी लोकगायिका व अभिनेत्री राधाकृष्ण रस्तोगी ने अपनी फिल्म के गीत की पंक्तियां सुनाईं। सिनेमा-रंगमंच से जुड़े रंगकर्मिर्यों-लेखकों-निर्देशकों सीपी सन्यासी, प्रदीप रौशन,केके लाल, शाहजादा शाही, प्रियदर्शी किशोर श्रीवास्तव, सुरेन्द्रकृष्ण रस्तोगी, धीरज अजनबी आदि ने भी अपनी बातें रखीं।
खूबियों-खामियो पर सवाल-जबाव का सिलसिला
फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हर फिल्म की खूबियों-खामियो पर सवाल-जबाव का सिलसिला क्रमानुसार चला, जिसमें फिल्म के निर्माताओं-निर्देशकों ने निर्णायक मंडल और दर्शकों द्वारा किए गए सवालों का जवाब दिया। प्रदर्शित फिल्मों पर विभिन्न विधाओं से जुड़े शांति वर्मा, निर्भय चौधरी, अशोक मेहरा और आरिफ शहडोली के निर्णायक मंडल ने अपना फैसला दिया।
कन्टेंट लेखक उपेन्द्र कश्यप को भी मोमेन्टो
अंतिम सत्र में भोजपुरी फिल्म के वरिष्ठ लेखक-निर्देशक चंद्रभूषण मणि को लाइफटाइम एचीवमेंट सम्मान प्रदान किया गया। इस मौके पर दाउदनगर के जिउतिया उत्सव पर बनी डाक्युमेन्ट्री फिल्म के कन्टेंट लेखक उपेन्द्र कश्यप को भी मोमेन्टों देकर सम्मानित किया गया। बिहार के सोनघाटी क्षेत्र (मगध-शाहाबाद) में पहली बार धर्मवीर भारती फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन द्वारा 16, 17 व 18 मार्च को आयोजित फिल्म फेस्टिवल का समन्वय-संयोजन युवा निर्देशक-निर्माता धर्मवीर भारती के साथ ओमप्रकाश प्रीत, रसना वर्मा डाली, पिंकी कुमारी, संकेत सिंह, रणवीर भारती आदि ने और संचालन वरिष्ठ निर्देशक कलाकार आफताब राणा ने किया।
– उपेन्द्र कश्यप/निशांत राज