यदि मैं काराकाट का सांसद बना तो…!

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी चुनाव समाचार। वासुदेव हजारिक उर्फ पट्टू सेठ ने कहा है कि यदि वह काराकाट संसदीय क्षेत्र से 17वीं लोकसभा के लिए चुने जाते हैं तो वह अपने 14 सूत्री घोषणा को लागू करने का भरसक पूरा प्रयास करेंगे।

उनकी 14 सूत्री घोषणा में किसानों के हक में सोन व अन्य प्रमुक नदियों के तटों का कटाव रोकना, निर्धन परिवारों की असहाय कुंवारी कन्याओं की सामूहिक शादी संसद मद की रकम से कराना, सभी एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव डेहरी-आन-सोन स्टेशन पर कराना, राजकीय क्षेत्र में इंजीनियरिंग या पालिटेक्निक कालेज या मेडिकल कालेज की स्थापना कराना और जात-पांत से अलग विधवाओं-वृद्धों को प्रति माह वृद्धा पेंशन दिलाना और अपने क्षेत्र की जनता के बीच नियमित तौर पर उपलब्ध रहना प्रमुखता से शामिल हैं।

वासुदेव हजारिक उर्फ पट्टू सेठ की अन्य घोषणाओं में क्षेत्र में लघु उद्योगों का जाल बिछाने के लिए भरपूर प्रयास करना और रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स परिसर में फिर कारखाना स्थापित करने का पूर्ववर्ती नेताओं के हवा-हवाई वादे से अलग जमीनी स्तर पर प्रयास होगा।

वह इस बात के लिए आजीवन परिणामपरक संघर्ष करेंगे कि काराकाट संसदीय क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन नहींकरना पड़े।

(रिपोर्ट, तस्वीर : वारिस अली, वरिष्ठ संवाददाता)

 

मतदान जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। मतदान जागरूकता के लिए स्थानीय रंगकर्मियों ने शहर में विभिन्न जगहों पर नुक्कड़ नाटक किया। नुक्कड़ नाटक के जरिये यह संदेश दी गई कि मतदान हर व्यस्क भारतीय नागरिक का सम्वैधानिक अधिकार है, जिसका प्रयोग लोकतंत्र की व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसलिए हर मतदाता को लोकतंत्र की इस प्रकिया में हिस्सेदार बनना चाहिए। नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति करने वालों में शहर के फिल्म और रंगमंच के अग्रणी युवा अभिनेता मुकल मणि, मृणाल गुप्ता, रामजी भाई आदि शामिल थे। कलाकारों ने अपने अभिनय से भाव-संदेश का प्रभावकारी संप्रेषण किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)

 

 

कोई पसंद नहीं तो नोटा है विकल्प

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। न्यू एरिया मुहल्ले के प्रेस गली (वार्ड-25) निवासी मैरिन इंजीनियर संजीव कुमार उर्फ बंटी ने डिहरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में अब उपलब्ध नोटा (इनमें से कोई नहीं) बटन की ओर ध्यानाकृष्ट किया है और अपने विवेक से इस बटन के उपयोग की अपील की है। उनका कहना है कि यदि हमें कोई उम्मीदवार पसंद नहींहै तो हमारे पास नोट बटन का विकल्प है और हम उसका उपयोग कर सकते हैं, जो मतदाताओं का संविधान सम्मत अधिकार है। हालांकि अभी नोटा का मत खारिज अर्थात रद्द वोट माना जाता है। मगर अपने प्रतिरोध को व्यक्त करने का और ध्यानाकृष्ट कराने का यह लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण तरीका है। अगर अधिक से अधिक नोटा मतदान होता है तो जाहिर है कि उम्मीदवार और व्यवस्था (संचालक उपक्रम) सोचने पर बाध्य होंगे और भविष्य में कोई बेहतर सूरत निकलेगी।

संजीव कुमार उर्फ बंटी का कहना है कि मौजूदा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी उम्मीदवार मतदाताओं पर लादे जाते हैं, जिनमें से किसी एक को ही सिस्टम (लोकव्यवस्था) को चलाने के लिए चुनने की विवशता होती है। चुनाव को इतना खर्चिला और महंगा बना दिया गया है कि आम आदमी इसमें सक्रिय भूमिका में हो ही नहीं सकता। इस विवशता के भंवर जाल में आज आम आदमी लोकतत्र में मतदाता भर बनकर रह गया है। लोक (आम आदमी) लोकतत्र का विधाता नहीं बन सकता।

(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)

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