डेहरी-आन-सोन (वरिष्ठ संवाददाता)/औरंगाबाद (कार्यालय प्रतिनिधि)। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर औरंगाबाद जिला में डाक्युमेंट्री-ड्रामा फिल्म सुरभि : ए वेब गर्ल का थीम सांग (विषयवस्तु गीत) और पोस्टर रीलीज किया गया। जबकि डेहरी-आन-सोन में रेल-महिलाओं के लिए सद्भाव समारोह का आयोजन किया गया। इसी अवसर पर डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ कवि कुमार बिन्दु ने समग्र भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में स्त्री-सत्ता-ईयत्ता को नई दृष्टि से रेखांकित करते हुए काव्य-रचना की है, जो सोनमाटी के पाठकों के लिए खास तौर पर प्रस्तुत है। औरंगाबाद के जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल ने सुरभि : ए वेब गर्ल का पोस्टर रीलीज किया। पोस्टर और टाइटिल सांग (सुरभि तेरी अलग कहानी…) के रीलीज के आयोजन में इस फिल्म के युवा निर्माता-निर्देशक डा. धर्मवीर भारती और इसके प्रमुख कलाकार शामिल थे। इस फिल्म के गीतों को अनुप के. सिन्हा और चंदन भाटिया ने लिखा हैं। फिल्म के लिए संगीत रचना सन्नी और सूरज ने की है।
डेहरी-आन-सोन में रेलवे स्टेशन परिसर में आयोजित महिला सद्भाव समारोह में रेल प्रशासन की ओर से स्टेशन प्रबंधक अशीम कुमार ने महिला कर्मचारियों मृदुला कुमारी (पुस्तकालय अध्यक्ष), किरण सिंह (बुकिंग सुपरवाइजर), ज्योति कुमारी, हेम लता, माधुरी देवी आदि महिला रेलकर्मियों को मिठाई, डायरी-कलम भेंटकर सामूहिक समभाव प्रकट किया गया। इस मौके पर स्टेशन प्रबंधक अशीम कुमार ने बताया कि रेलवे में महिलाओं आज क्लर्क, सुपरवाइजर, गार्ड और स्टेशन मास्टर के पदों पर भी कार्यरत हैं। रेलवे ने सवेतन मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया है। महिला सद्भाव समारोह का संयोजन रेल यातायात निरीक्षक विनय कुमार, मुख्य गाड़ी लिपिक राजेश कुमार, स्टेशन कार्यालय अधीक्षक अरुण कुमार, रेल कर्मचारी संगठन के रमेश चंद्र आदि ने किया।
(रिपोर्ट व तस्वीर : औरंगाबाद में निशांत राज और डेहरी-आन-सोन में वारिस अली)
याद करो देवि… कि जरूरी है सबूत मांगना !
डेहरी-आन-सोन निवासी कुमार बिन्दु वरिष्ठ पत्रकार और संवेदना के एक नए धरातल के कवि है। सासाराम स्थित हिन्दुस्तान कार्यालय में बतौर निज संवाददाता कार्यरत कुमार बिन्दु ने अपनी ताजा रचना (याद करो देवि) सोनमाटी और सोनमाटीडाटकाम के पाठकों के लिए भेजी है, जिसमें उन्होंने छद्मभेषी साधुता, धर्मान्धता की मठाधीशी और राजसत्ता की तानाशाही को बारीकी से व्यापक फलक पर रेखांकित किया है। -संपादक
याद करो देवि
उस दिन को याद करो
जब पंचवटी में
साधु के वेश में
आया था अपहर्ता
भिक्षा के बहाने
तुम्हें घर से बाहर बुलाया था
पंचवटी से लंका पहुंचाया था
याद करो देवि
उस घड़ी को याद करो
तुम्हारे अपहरण से पूर्व
कोई सोने का बनकर मृग
हमको-तुमको भरमाया था
मैं भी स्वर्ण मृग के पीछे भागा था
दशानन ने ऐसा जाल बिछाया था
याद करो देवि
उस दुखद अध्याय को याद करो
जब सत्ता सुख के मोह में
बंधा राजनीति के पाश में
मैंने किया था तुम्हारा परित्याग
और तुम्हारे कोख में पल रहे
अपने संतान को भी त्यागा था
राजधर्म के आगे मानव धर्म बिसराया था
याद करो देवि
अपने पुराने इतिहास को याद करो
मायावी सोने के हिरण को
साधु के वेश में आने वाले रावण को
राजनीति के फंदे में फंसकर
सत्ता के मोहपाश में बंधकर
राजधर्म के बहाने मानव धरम को
ताक पर रखने वाले
कथित मर्यादा पुरुषोत्तम राम को
मेरे नैतिक और सांस्कृतिक अपराध को
अतीत के हर अध्याय को याद करो
हम अपने इतिहास से सबक लें
फिर मिलकर यह साझा संकल्प लें
हम साधु से उसकी साधुता का सबूत मांगेंगे
राजधर्मिता में लोकधर्मिता के मूल तत्व ढूंढेंगे
साधु के वेश में भी रहता है शैतान
निज स्वार्थ में रक्षक बन जाता है भक्षक
सत्ता-संपत्ति के लिए रचता है महाभारत
इसीलिए साधु से
धर्म के मठाधीशों से
राजसत्ता से पहरुओं से
उसकी नेकी का
उसकी ईमानदारी का
अब सबूत मांगना जरूरी है।
-0- कुमार बिंदु
पाली, पो. डालमियानगर-821305
डेहरी-आन-सोन, जिला रोहतास