युवा पीढ़ी के भारतीय नायक थे बसंत सागर

बसंत सागर युवा पीढ़ी के भारतीय नायक थे बसंत बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र स्कॉलर हैंबसंत ने मानव जाति के  के लिए अपना जीवन समर्पित किया। देश और बिहार के लाखों छात्रों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये।  बसंत के पिता  बिमलकांत प्रसाद ने 2016 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से वॉलन्टरी रिटायरमेंट (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लिया और वर्तमान में डेक्सटेरिटी ग्लोबल के अध्यक्ष हैं। बसंत की छोटी बहन बरसा ने मई 2016 में अमेरिका के प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से छात्रवृत्ति पर स्नातक किया और पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन के छेत्र में हैं। उनके छोटे भाई शरद सागर विश्व की मशहूर फ़ोर्ब्स पत्रिका के अंडर -30 में सूचित सामाजिक उद्यमी हैं। बसंत सागर का निधन 06.11.2017 को हुआ। भारत के सोन नद अंचल के इस असाधारण प्रतिभा को सलाम।

बसंत बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे, जिन्हे छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र छात्र हैं। वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को रिसर्च के लिए कई बाबा सम्मानित किया गया था। दुनिया की नंबर-एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन के छात्र, बसंत सागर  बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।

बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले-बढे बसंत को 13 साल की उम्र पर पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 2007 में बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। 2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

14 की उम्र  में नासा ने चुना छात्र वैज्ञानिक 

बसंत, जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढाई की,  केवल 14 वर्ष थे जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई। 2003 में 14 वर्षीय बसंत सागर के बारे में भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय जब इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।”

पटना में हाई स्कूल की पढाई

पटना में हाई स्कूल की पढाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र छात्र रहे हैं। 2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में  छात्र एवं स्कॉलर रहे बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे। वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक थे।

बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के छेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया। अपने रिसर्च एवं नेतृत्व के कारण बसंत ने अपने जीवनकाल में कई दिग्गजों से मुलाकात की, उनके साथ काम किया एवं उनकी प्रशंसा पाई। इनमे से कुछ नाम हैं इलोन मस्क, बिल गेट्स एवं ढेर सारे नोबेल पुरस्कार विजेता, नासा के साइंटिस्ट, जाने माने अकादमिक एवं मशहूर उद्योगपति एवं अरबपति। एमआईटी के इतिहास में सफल छात्रों में से एक के रूप में स्नातक होने के बाद बसंत ने करोड़ों के नौकरी के प्रस्तावों को ठुकरा दिया और विश्वस्तरीय साइंटिस्ट और स्कॉलरों की टीम को इक्कट्ठा कर अपनी खुद की रिसर्च टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट की शुरुआत की।

जीवन युवा पीढ़ी के लिए मिसाल

बसंत सागर एक भारतीय नायक, जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने  देश को अनेक बार गौरवान्वित किया। बिहार में और देश भर में लाखों छात्रों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए मिसाल हैं और कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने और मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए प्रेरक हैं। बसंत एम्आईटी बोस्टन में एक आइकॉन थे जहाँ उन्होंने एक छात्र और एक स्कॉलर के रूप में उच्चतम सफलता हासिल की। उन्होंने रिसर्च को स्पेस साइंस और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के छेत्र में नई दिशा दिखाई।

बसंत सागर दुनिया भर में अपने दोस्तों-सहकर्मियों  को पीछे छोर गए हैं। उनका काम उनके मित्रों, साथी शोधकर्ताओं,  प्रोफेसरों और उनके शिक्षार्थियों के माध्यम से जारी रहेगा। देश के असाधारण प्रतिभा को सलाम।

written by Swaraj Priyadarshi, an American Scholar.

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    20 अक्टूबर को होगी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता

    दाउदनगर (औरंगाबाद ) कार्यालय प्रतिनिधि। महर्षि दयानंद सरस्वती पुस्तकालय में मेसो कोषाध्यक्ष गोस्वामी राघवेंद्र नाथ की अध्यक्षता में एक आम सभा आयोजित की गई। बताया गया कि महर्षि दयानंद सरस्वती…

    One thought on “युवा पीढ़ी के भारतीय नायक थे बसंत सागर

    1. Highly influenced by Ramanujan’s life Subramanyam Chandrasekhar became a noble laureate. Young people from Bihar, India draw same inspiration from Basant Vivek Sagar and I am sure these youth will go ahead of Subramanyam Chandrasekhar.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द