डेहरी-आन-सोन -कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिले के ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला परिसर में शनिवार को अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम एवं जिला प्रशासन के तत्वाधान में वनवासी कल्याण महोत्सव मनाया गया। मुख्य अतिथि एसडीएम सूर्य प्रताप सिंह, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री गणेश भगत, रामचंद्र सिंह खरवार, गोविंद नारायण सिंह, योगेश बापट, संदीप कामेश्वर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान मांदर की थाप से कैमूर की वादी गुंजायमान हो उठी।
इस महोत्सव-समारोह में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित देश भर से आदिवासी वनवासी पहुंचे थे। वे अपने पूर्वजों की धरती को नमन करने के लिए कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतासगढ़ किला परिसर में पहुंच कर करम के पेड़ की पूजा धूमधाम से की। महोत्सव-समारोह की शुरुआत करम के पेड़ की पूजा से की गई।वनवासी कल्याण आश्रम के जिलाध्यक्ष गोविंद नारायण सिंह ने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया ।
मुख्य अतिथि एसडीएम सूर्य प्रताप सिंह ने विभिन्न प्रदेशों से आए वनवासियों का जिला प्रशासन की ओर से स्वागत किया। एसडीएम ने बताया की आनेवाले दिनों में लोगो को ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला आने में कठिनाइयों से मुक्ति मिलेगी। रोहतासगढ़ किला पर आने के लिए रोपवे व सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। कहा कि कैमूर पहाड़ी के लोग इंटरनेट की और बेहतर सुविधाएं व विद्युत की व्यवस्था जल्द ही बहल की जाएगी।
छत्तीसगढ़ के पूर्व वन मंत्री गणेश राम भगत ने कहा कि भोले भाले वनवासी समुदाय को बरगलाकर धर्मांतरण किया जा रहा है। आप सभी वनवासी बंधु अपने मूल संस्कृति सनातन धर्म को सुरक्षित रखते हुए शिक्षा के प्रति जागरूक हो। शिक्षा के माध्यम से ही जनजाति समाज का सर्वांगीण विकास संभव है।
प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र खरवार ने कहा कि उक्त कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र में संस्कार और संस्कृति की रक्षा के प्रति लोग सजग हो गए है। साथ ही साथ इस क्षेत्र का विकास भी हो रहा है। रोहतास गढ़ किला पर आने के लिए रोपवे व सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। उन्होंने शिक्षा के प्रति जागृत किया । कहा कि आप लोग शिक्षित होंगे तभी अपने अधिकार के प्रति सजग होंगे।
ढोल-मांदर-नृत्य के साथ की करम पेड़ की पूजा :
रोहतासगढ़ किला परिसर में एक अति प्राचीन करम का वृक्ष है, जिसकी पूजा अर्चना के लिए आदिवासी समुदाय के लोग यहां आते हैं और अपने पूर्वजों की धरती को नमन करते है। आदिवासी-वनवासी सामूहिक रूप से गीत गा मांदर की थाप पर नृत्य कर करम पेड़ का पूजा धूमधाम से की।
रोहतासगढ़ महोत्सव का आयोजन :
रोहतासगढ़ महोत्सव का आयोजन आदिवासी-वनवासी समाज की धरोहर के संरक्षण के उद्देश्य और गौरव स्मृति संयोजन के लिए हर वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। आदिवासी व जनजातीय संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ रोहतास गढ़ किला तथा उसके आसपास के सुरम्य क्षेत्रों के अलावा गांवों में पर्यटन का विकास तथा रोजगार सृजन करना है। आदिवासी समुदाय उरांव, खरवार का मानना है कि हमारा उदगम स्थल रोहतासगढ़ ही है। जहां से मुगल काल में युद्ध में हार के बाद विस्थापित हो हमारे पूर्वज इस धरती से भारत के अन्य प्रांतों में जाकर बस गए थे। वर्ष 2007 में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव उरांव के नेतृत्व में रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा महोत्सव की शुरुआत की गई।
प्रदर्शनी और स्वास्थ्य शिविर का आयोजन :
उक्त महोत्सव में देश की आजादी में योगदान देने वाले जनजाति नायकों की वीर गाथाओं की चित्र प्रदर्शनी लगाई गई। रोहतास के जगलों में उगने वाली हरे फल, मलकंगनी फल, बहेरा, इन्द्रजौ मिठा, गुगुल, दसांग, छोटी हरे, गुन्दयार पते, मिठा पत्ता इत्यादी फलों व औषधियों की प्रदर्शनी ने लोगों को खूब आकर्षित किया।
वनवासियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रोहतास और नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जमुहार के द्वारा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ्य संबधित जानकारी व निशुल्क दवाओं का वितरण भी किया गया।
महोत्सव-समारोह की अध्यक्षता आश्रम के जिलाध्यक्ष गोविंद नारायण सिंह ने किया। संचालन महरंग जी उरांव व राजेश उरांव ने संयुक्त रूप से किया। महोत्सव-समारोह को अन्य प्रांत से आए सोमेश उरांव, मेघा उरांव, शनि टोपो समेत कई ने संबोधित किया। समारोह में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्रनारायण सिंह, शाहाबाद महोत्सव समिति के संस्थापक आखिलेश कुमार, महेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, कृष्णा सिंह यादव, महेंद्र प्रताप सिंह, राम लाल उरांव, डोमा सिंह खरवार आदि मौजूद थे।
(रिपोर्ट, तस्वीरः निशांत राज)
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