कविताएं : कृष्ण किसलय और कुमार बिन्दु / पटना में कविता पोस्टर प्रदर्शनी

1. आओ सफर फिर शुरू करें / कृष्ण किसलय

अहसास अब भी कितना ताजा है
कि बहुत खुशनसीब गुजरा था
बीते वर्षों का पहला सबेरा
हां, कितना हसीन था
आकाश से जमीन पर प्रेम के पानी का झरझराना
और उग आए संबंधों की पौध में हर साल
आहिस्ता-आहिस्ता एक-एक कर फूलों-पत्तियों का भरना
जमाने की बंदिश की बर्फानी ठंड
प्रतीक्षा की तपस्या की कड़ी धूप
और बेकरारी की बाढ़ के बावजूद
हरा-भरा है यादों का वह पौधा
महक बरकरार है मुहब्बत के फूलों की
लाखों-करोड़ों की तरह मैंने भी देखा था
एक सपना
गुजरे बरस की आखिरी रात में
कि नए बरस का उगता नया सबेरा
और हसीन, और गुलनशीन, और मनतरीन होगा
मगर अफसोस कि रात लंबी खिंच गई
और राह में पत्थर फिर बिखर गए
फिर भी आदमी की जिंदगी तो
दरअसल उम्मीद का सफर है
और संयोग से अब भी साथी जुगनू
संबंधों की हरियाली में चमक रहे हैं
आओ, उन्हीं की रोशनी के सहारे
पहुंचने का सफर फिर से शुरू किया जाए

2. प्रेम कथा की कोरी किताब / कृष्ण किसलय

मुबारक हो लो फिर आ गया कैलेंडर में यह नया साल
पल-पल, पहर-पहर, रात-दिन, हफ्ता, पखवारा और महीना
देखो तो कैसे बीत गया वह गुजरा साल
कैसे बयान करूं मन के समंदर का हाल
खुद के अनुभव से अंदाज करो
जैसे लगता है बीते कल की गुजरे सुबह की
आज सुबह की या कि अभी-अभी
गुजर गए वक्त की बात है
हो सकता है जिंदगी का निष्ठुर दोराहा हो यह नया साल
वैसे तो सबको पता है बिरादरी और रिवाजों के
इस जमाने में अलग-अलग होती है रिश्तों की राह
इसलिए उम्र के इस मोड़ पर कीमती है यह नया साल
अब तुम पैमाईश कर देखो
अपने समय, अपने साहस और अपनी जरूरत के औजार,
सच जानो, दुनिया में कोई हम अकेले नहीं हैं
सैकड़ों-हजारों का नहीं, लाखों-करोड़ों का रहा है
सदियों से हौले-हौले खामोश चलता रहा है
लागी नाही छूटे का यह संसार
नेह के समर्पण का, मन के तर्पण का
पता नहींक्यों, किसी पर सब कुछ अर्पण का
बहुत पुराना रहा है आदमी का यह इतिहास
बिना स्वार्थ पूंजी सौंप जाने का
न जाने कैसा है संबंधों का यह सरोकार,
इस नए साल में मोहब्बत की मोम से
जलाओ एक नया चिराग ताकि हो सके पूरी
मन के किसी कोने में रखी प्रेम-कथा की
जनम-जनम से कोरी रह गई कुदरत की यह किताब।

  • कृष्ण किसलय
    संपर्क : सोनमाटी-प्रेस गली,
    जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया,
    डालमियानगर-821305, जिला रोहतास (बिहार)
    फोन 9708778136, 9523154607

1. जब मैं उनसे मिला / कुमार बिन्दु

मैं जब चांद से मिला
उसने मेरी आंखों में अपनी हसीन रोशनी भर दी
मैं जब बिंध्य पर्वत से मिला
उसने मेरे इरादों में अपनी चट्टानी ताकत भर दी
मैं जब रजनीगंधा से मिला
उसने मेरे सांसों में अपनी नशीली खुशबू भर दी
मैं जब महानद सोन से मिला
उसने मेरी रगों में अपनी रवानी भर दी
मैं अपनी आंखों में
चांद की हसीन रोशनी लिए
मैं अपनी सांसों में
रजनीगंधा की नशीली खुशबू लिए
मैं अपनी रगों में
महानद सोन की मुसलसल रवानी लिए
मैं अपने इरादों में
बिंध्य पर्वत की चट्टानी ताकत लिए
अंधेरे में डूबी इस दुनिया को रोशनी,
दिलों के वीराने को रजनीगंधा की खुशबू
सदियों से थमी जिंदगियों को सोन की रवानगी,
अंधेरे के साम्राज्य के खिलाफ
रात-दिन जूझ रहे नन्हें-नन्हें जुगनुओं की देह को
बिंध्य पर्वत की चट्टानी ताकत अर्पित कर रहा हूं
मैं उनको यह सब कुछ सस्नेह समर्पित कर रहा हूं।

2. तुम्हारे लिए / कुमार बिन्दु

मैं किसी दरख्त की देह पर
चाकू की धारदार नोक से
नहीं गोदना चाहता हूं तुम्हारा नाम
मैं कोरे कागज की पीठ पर
स्याही भरी कलम की नोक से
नहीं लिखना चाहता हूं तुम्हारा नाम
मैं तो तुम्हारे लिए कोई गीत
कोई कविता लिखना चाहता हूं
जिसे कभी भीड़ में, कभी नितांत अकेले में
वे सभी लोग गा सकें, हौले-हौले गुनगुना सकें
जो उदात्त प्रेम करते हैं
अपने रक्त की भाषा, पूर्वजों की हड्डी-मांस से उपजी
आत्मिक प्रेम की परंपरा से

माता-पिता की विरासत से
अपने मुलुक की माटी-पानी से
और जो इस दुनिया को
दुल्हन की तरह संवारना चाहते हैं
अगर कहीं है स्वर्ग तो
उसे इस धरती पर उतारना चाहते हैं।

  • कुमार बिन्दु
    संपर्क : गली नंबर 04, पाली,
    डेहरी-आन-सोन, जिला रोहतास (बिहार)
    फोन 9939388474

कविताओं पर सिद्धेश्वर के चित्रांकन, लगी प्रदर्शनी

पटना (विशेष प्रतिनिधि)। साहित्य कला संसद की ओर से कविताओं का मेला नाम से कवि-चित्रकार सिद्धेश्वर के रेखांकनों की पोस्टर प्रदर्शनी पटना के कालीदास रंगालय सभागार में लगाई गई। प्रदर्शनी में महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, रामधारी सिंह दिनकर, कन्हैयालाल नंदन, सत्यनारायण, विंध्यवासिनीदत्त त्रिपाठी सहित हिन्दी साहित्य के करीब ढाई दर्जन कविता के वरिष्ठतम कलमकारों की कविताओं पर सिद्धेश्वर ने अपनी कूची से कल्पना के रेखाचित्रों में रंग भरे थे। हर पोस्टर पर स्वतंत्र रूप से कलमकार की कविता पर सिद्धेश्वर नेरेखांकन किया था। साहित्य कला परिषद के अध्यक्ष डा. पंकज प्रियम ने बताया कि सिद्धेश्वर कविता लेखन के साथ चित्रांकन भी पिछले तीन दशकों से कर रहे हैं, जिनके रेखाचित्र देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाते रहे हैं। कविता पोस्टर प्रदर्शनी समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समालोचक डा. शिवनारायण ने की। पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन करने वालों में वरिष्ठ लेखक-कवियों के साथ राजकिशोर राजन, निविड़ शिवपुत्र, शहंशाह आलम, संजय कुमार कुंदन, सुधा सिन्हा, विजय गुंजन, विजय प्रकाश, ऋतुराज राकेश, सिंधु कुमारी, रेखा भारती आदि नई पीढ़ी के लेखक-कवि भी थे।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)

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