
पटना- कार्यालय प्रतिनिधि। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग के प्रमुख डा. आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि “बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ मिलाएँ” का संदेश वैश्विक एकजुटता और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भूमि और जल संसाधनों की कमी, जलवायु परिवर्तन और नाजुक आपूर्ति श्रृंखलाएँ हमारी खाद्य प्रणालियों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी हैं।
डा. उपाध्याय ने कहा कि समग्र समाधान तभी संभव है, जब सरकारें, वैज्ञानिक, किसान, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज मिलकर टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों का निर्माण करें। उन्होंने उपभोक्ताओं से भी आग्रह किया कि वे स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें, खाद्य अपव्यय को कम करें और पोषण-संतुलित आहार अपनाएँ।
उन्होंने किसानों को “पृथ्वी के संरक्षक” बताते हुए कहा कि विविध फसलों की खेती, जैविक और कृषि-पारिस्थितिकी आधारित प्रथाएँ न सिर्फ संसाधनों की रक्षा करती हैं बल्कि समाज को जलवायु-अनुकूल भविष्य की ओर भी ले जाती हैं। साथ ही, शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों से उन्होंने वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाने की अपील की, जो मानव, पशु, पौधा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ता है।नागरिक समाज संगठनों की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पोषण, महिला सशक्तिकरण और स्थानीय आहार पर बल देने से ग्रामीण समुदाय आत्मनिर्भर बन सकते हैं। निजी क्षेत्र को भी सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप अपनी नीतियाँ बनानी होंगी ताकि खाद्य सुरक्षा में दीर्घकालिक योगदान हो सके।
डा. उपाध्याय ने कहा कि सरकारें नीतिगत स्तर पर वह नींव रखती हैं, जिस पर खाद्य-सुरक्षित भविष्य निर्मित होता है। छोटे किसानों को समर्थन, टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन और सभी वर्गों को किफायती पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना सरकारी प्राथमिकताएँ होनी चाहिए।
उन्होंने अंत में कहा कि मानवता सीमित संसाधनों और बढ़ती आबादी के बीच पोषण सुनिश्चित करने की चुनौती का सामना कर रही है। समाधान केवल सामूहिक कार्रवाई में है — जब सब मिलकर ज्ञान साझा करें, प्रयासों का समन्वय करें और हमारे कृषि-खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ दिशा दें।






