ब्रह्मांड और जीवन की खोज पर प्रमाणित पुस्तक : सुनो मैं समय हूं

नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने पेश किया ब्रह्मांड की खोज पर आधारित कृष्ण किसलय की कृति सुनो मैं समय हूं पुस्तक समीक्षा : सुनो मैं समय हूं समीक्षक : कल्याण कुमार…

सोनघाटी : गौरवशाली प्राचीन विरासत की खोज की शुरू हुई नई पहल

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। सोनघाटी पुरातत्व परिषद, बिहार की ओर से सोन नद के ऊपरवर्ती तट के रोहतास और औरंगाबाद जिलों में अवस्थित अति संभावनाशील आदि-सभ्यता-स्थलों की पुरातात्विक खुदाई करने और…

सकास नरकंकाल : अंडमान से सिंधु वाया सोनघाटी, सभ्यता-यात्रा की सबसे पुरानी कहानी

पटना/डेहरी-आन-सोन (बिहार)-सोनमाटी टीम। बिंध्य पर्वतश्रृंखला की कड़ी कैमूर की तलहटी में स्थित बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत सकास गांव में मिले नरकंकाल मानव इतिहास के इसी नए कथ्य को पुष्ट…

जिज्ञासा : पृथ्वी पर क्या सचमुच दस्तक दे चुके हैं दूसरे ग्रहवासी एलियन !

विज्ञान लेखक : कृष्ण किसलय (समूह संपादक सोनमाटी मीडिया ग्रुप) क्या सचमुच सुदूर अंतरिक्ष से अपनी आकाशगंगा या किसी दूसरी आकाशगंगा के ग्रहवासी (एलियन) पृथ्वी तक दस्तक दे चुके हैं?…

उपचुनाव : कौन बनेगा डिहरी विधानसभा क्षेत्र का महारथी ?

डेहरी-आन-सोन (रोहतास, बिहार)-विशेष प्रतिनिधि। बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री, डिहरी के विधायक इलियास हुसैन के चुनाव लडऩे से अयोग्य होने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में महारथी…

बिहार : गठबंधन के राजनीतिक परिदृश्य में निर्णायक कौन?

–समाचार विश्लेषण/कृष्ण किसलय– लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दृष्टिकोण से 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश के बाद 40 सीटों वाले बिहार का ज्यादा रणनीतिक महत्व है। बिहार में अपने दम-खम पर…

सलेक्ट : देश के यंग मैनेजर बने मैनेजरियल एक्सीलेंस के विद्यार्थी, एनबीटी ने की कृष्ण किसलय की पुस्तक प्रकाशित

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। जमुहार स्थित गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) के अंर्तगत संचालित नारायण एकेडमी आफ मैनेजरियल एक्सीलेंस केआठ छात्र-छात्राओं का चयन देश की एक बड़ी कंपनी अपोलो मुनिक कार्पोरेशन लिमिटेड…

सुनो मैं समय हूं : विषय के बीजारोपण से पुस्तक प्रकाशन तक 15 सालों का सफर

नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (दिल्ली) जैसे अन्तरराष्ट्रीय प्रसार वाले भारत के सबसे बड़े बहुभाषी (30 भाषाओं से अधिक) प्रकाशन संस्थान से पुस्तक प्रकाशित होना किसी लेखक के लिए उसके लेखकीय…

क्यों जरूरी है किसी भी मातृभाषा, लोकभाषा का व्यवहार में बना रहना ?

हर भाषा अपने समाज, अपने समय के साथ गुजरे हुए समय की व्यवहार-परंपरा, संस्कृति का इतिहास-कोष, विरासत होती है। उसके ठेठ शब्द भूतकाल के समाज, परिस्थिति की पहचान के साथ…

सोन घाटी में इतिहास का सफर : नागवंशियों के रोहतागढ़ से मुगलवंशियों के ताजमहल तक

वाट्सएप पर झारखंड के अध्यापक, लेखक और स्थानीय इतिहास के अन्वेषणकर्ता अंगद किशोर (जपला, हुसैनाबाद) ने टिप्पणी की है- बहुत सुन्दर आलेख।इनकी टिप्पणी के बाद याद आ गया दो दशक…

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