कृष्ण किसलय जीः आप बहुत याद आएंगे,दूसरी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि
आज कृष्ण किसलय का दूसरी पुण्यतिथि हैं। आज ही के दिन वर्ष 2021को वह हम सबको छोड़ कर चले गए थे। यह आलेख उनकी यादों में समर्पित करते हुए 2022…
एक ही विषय में बार-बार नेट पास करना- दूसरों के हक पर डाका !
एक ही विषय में बार-बार नेट पास करना- दूसरों के हक पर डाका ! सुशील उपाध्याय (9997998050) यूजीसी नेट का रिजल्ट घोषित होने के बाद मीडिया माध्यमों में कुछ ऐसे…
पुस्तक समीक्षा : गंवई और जनवादी चेतना का स्वर है कुमार बिंदु की कविता संग्रह ‘साझे का संसार’
जन कवि कुमार बिंदु बिंबों के सहारे मजदूर-किसान की कहानी का कविता में लंबा वितान रचते हैं। आमजन की तरफ़दारी और संघर्षों को कविता का विषय बनाना इनकी कला की…
तनाव मुक्त परीक्षा: प्रणाली और मानसिकता दोनों में बदलाव जरूरी
आलेख-तनाव मुक्त परीक्षा: प्रणाली और मानसिकता दोनों में बदलाव जरूरी– प्रो. ब्रजेश पति त्रिपाठीविभागाध्यक्ष (अर्थशास्त्र),पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर ‘परीक्षा पर चर्चा, कार्यक्रम में परीक्षार्थियों शिक्षकों…
अब कभी नहीं पुनर्जीवित होंगी मढ़ौरा की औद्योगिक इकाईयां
मढ़ौरा में बंद औद्योगिक इकाइयों को खोलने को लेकर राज्य सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। बंद पड़ी चीनी मिल में किसानों का करोड़ों रुपया बकाया है। जिसको लेकर…
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गुरु-शिष्य-परंपरा की विरासत
-अंगद किशोरइतिहासकार, शिक्षक एवं अध्यक्ष सोन घाटी पुरातत्व परिषद, जपला पलामू भारत में गुरु-शिष्य-परम्परा की समृद्ध विरासत प्राचीन काल से चली आ रही है। गुरु के प्रति श्रद्धा तथा शिष्य…
अखिलेंद्र मिश्रा ने की “स्वामी विवेकानंद का पुनर्पाठ” की प्रस्तुति
भारत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही पाटलिपुत्र के गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में विश्व साहित्य का हिन्दी रंगमंच तब जीवंत हो उठा जब हजारों की संख्या में दर्शकों से भरे…
सोन-घाटी में जीवंत हैं नेताजी की स्मृतियां
सोन-घाटी में जीवंत हैं नेताजी की स्मृतियांलेखक : कृष्ण किसलय नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की साहित्य और संस्कृति की द्विमासिक पत्रिका -“पुस्तक संस्कृति” ने- लेखक स्वर्गीय कृष्ण किसलय के द्वारा…
संकट में पत्रकार
विस्तृत और प्रामाणिक अध्ययन की जरूरत। पत्रकार कितने भी समर्थ हों और मीडिया कितना भी जागरूक हो, लेकिन वह इस प्रश्न तक का उत्तर नहीं दे पा रहा कि भारत…
(प्रसंगवश/कृष्ण किसलय) : इस उपद्रव की स्वीकृति नहीं, मगर इस कृत्य की पड़ताल भी जरूरी
-0 प्रसंगवश 0-इस उपद्रव की स्वीकृति नहीं, मगर इस कृत्य की पड़ताल भी जरूरी-कृष्ण किसलय (संपादक : सोनमाटी) जरा कल्पना करें कि किसी शहर के अति व्यस्त प्रमुख सड़क पर…